भारतीय मूर्तिकार और कलाकार मृणालिनी मुखर्जी का नई दिल्ली में 2 फरवरी 2015 को निधन हो गया. वह 65 वर्ष की थीं. मृणालिनी मुखर्जी कलाकार बेनोड़े बिहारी और लीला मुखर्जी की पुत्री थीं. वह अपनी उस कला के लिए जानी जाती है जो पाट के रेशों, मृत्तिका शिल्प और कांस्य रंग से बनी होती थी.
ब्रिटेन और यूरोप में उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनियां लगाई जा चुकी हैं. उन्होंने मूर्ति कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. उनके द्वारा जूट के रेशों, सेरेमिक और तांबे से बनाई गईं कलाकृतियां बहुत प्रसिद्ध हैं.
मृणालिनी मुखर्जी से सम्बंधित मुख तथ्य
• मृणालिनी मुखर्जी ने बड़ौदा के एमएस विश्वविद्यालय से वर्ष 1965 में चित्रकारी में पढ़ाई की. बाद में उन्होंने केजी सुब्रमण्यम से भित्ति डिजाइन में डिप्लोमा किया.
• वह पहली भारतीय कलाकार थीं जिनके कार्यों को वर्ष 1986 में सिडनी बिएनाले में प्रदर्शित किया गया.
• वर्ष 1994 में उनकी कला कृतियों को म्यूजियम ऑफ़ मार्डेन आर्ट, ऑक्सफोर्ड में प्रदर्शित किया गया था.
• वह वर्ष 2012 में रूबीना करोडे के किरण नाडार म्यूजियम ऑफ़ आर्ट द्वारा आयोजित ग्रुप एक्जीविशन क्रोसिंग: टाइम अनफोल्ड (पार्ट II) की एक हिस्सा थीं.
• उनके कार्यों को नमन आहूजा द्वारा ब्रुसेल्स के बाजार में वर्ष 2013 में आयोजित ‘द बाडी इन इंडियन आर्ट’ के समारोह में शामिल किया गया था.
• कलाकार की कृतियों पर एकल प्रदर्शनी जिसका शीर्षक 'रूपांतरण : कलाकार मृणालिनी मुखर्जी' था जिसका आयोजन वर्ष 2015 में नेशनल गैलिरी ऑफ मार्डन आर्ट में किया गया था.
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