भारतीय मूल के वैज्ञानिक मनु प्रकाश ने अपनी टीम के सहयोग से 10 जून 2015 को विश्व का पहला पानी पर आधारित कंप्यूटर बनाया.
उनके शोध के परिणाम एक पत्रिका नेचर फिज़िक्स में प्रकाशित हुए. मनु प्रकाश स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में जैव अभियांत्रिकी के एक सहायक प्रोफेसर हैं.
उन्होंने इस कंप्यूटर को इस तरह से बनाया है जिससे पानी की बूंदों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर हिलाने से यह कार्य करता है.
यह वैज्ञानिक की बूंदों के साथ प्रयोग द्वारा हासिल की गयी विशेषज्ञता को दर्शाता है जिसे उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान में इस्तेमाल किया.
प्रयोग
इसमें सबसे पहला कार्य कंप्यूटर घड़ी बनाना था जिससे इसमें दी जाने वाली सुविधाएं निर्धारित हो सकें. सिस्टम में मापन क्रिया को जांचने के लिए भी यह आवश्यक था ताकि भविष्य में बूंदे आपस में तालमेल के साथ कार्य कर सकें. इसे घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र के विकास के माध्यम से दर्ज किया गया. इसके उपरांत इसे नैनो कणों के साथ पानी की बूंदों में प्रविष्ट कराया गया.
चुंबकीय क्षेत्र में प्रविष्ट कराने के उपरांत छड़ों को पूर्व निर्धारित दिशा में घुमाए जाने में सफलता प्राप्त हुई जिससे घड़ी का एक चक्र पूरा हो सका. इस पूरी प्रक्रिया को एक कैमरे द्वारा रिकॉर्ड किया गया.
इस दौरान बूंदों की मौजूदगी अथवा गैर-मौजूदगी में बायनरी कोड को दर्ज किया गया एवं घड़ी के चलने से यह सुनिश्चित किया जा सका कि कंप्यूटर सिस्टम सही तरीके से कार्य कर रहा है.
इसकी सार्वभौमिक प्रकृति के कारण यह पाया गया कि इसके द्वारा बनाया गया कंप्यूटर सैद्धांतिक रूप से किसी भी कार्य को कर सकने में सक्षम है यद्यपि यह वर्तमान में मौजूद कंप्यूटरों की तुलना में काफी धीमे हैं.
भविष्य में जीव विज्ञान और रसायन शास्त्र में बूंदों द्वारा किये गए प्रयोगों से अभिकलन नियंत्रण तथा मापन योग्यता निर्धारित की जा सकती है.
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