भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक अनिल जैन ने 6 मार्च 2014 को एक मानव-अंगुलिचिह्न का 'फैंटम' नामक पहला 3डी मॉडल विकसित किया. यह मॉडल अंगुलिचिह्न-मिलान प्रणालियों की सटीकता बढ़ा सकता है और सुरक्षा-प्रौद्योगिकी में सुधार ला सकता है.
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में अरुण जैन की अगुआई में कंप्यूटर-वैज्ञानिकों की टीम ने पहले एक अंगुलिचिह्न की द्वि-आयामी इमेज निर्मित करके और फिर एक 3डी अंगुलि-सतह के साथ उसकी मैपिंग करके 3डी इमेज विकसित की. मानव-अंगुलिचिह्न निर्मित करने वाली समस्त रिजेज और वैलीज से परिपूर्ण 3डी अंगुलि-सतह 3डी प्रिंटर का इस्तेमाल करके बनाई जाती है.
हालाँकि इस 3डी मॉडल में एक असली उंगली की संरचना या अहसास नहीं है. किंतु यह फिंगरप्रिंट सेंसिंग और मैचिंग टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ा सकता है.
इसका अंतिम उद्देश्य ज्ञात गुणों और लक्षणों से युक्त एक परिशुद्ध अंगुलिचिह्न-मॉडल प्राप्त करना है, जो अंगुलिचिह्नों का मिलान करने के लिए प्रयुक्त मौजूदा टेक्नोलॉजी को अंशांकित (कैलिब्रेट) कर सके. इस तरह के उपकरण अंगुलिचिह्न-मिलान प्रणालियों की समग्र सटीकता में सुधार ला सकते हैं, जिससे अंतत: कानून के प्रवर्तन से लेकर मोबाइल फोन अनलॉक तक की एप्लीकेशंस में बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है.
अनिल जैन आईआईटी कानपुर के छात्र रहे हैं और वर्तमान में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में अग्रणी कंप्यूटर-वैज्ञानिक तथा प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं. उनके पास अंगुलिचिह्न-मिलान पर छह अमेरिकी पेटेंट हैं और उन्होंने जीवसांख्यिकी और अंगुलिचिह्न/मुख-पहचान पर कई किताबें लिखी हैं.
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