मणिपुर विधानसभा ने 15 जुलाई 2015 को ‘आंगुतक एवं प्रवासी कामगार विधेयक-2015’ (MRVTMW Bill, 2015) वापस लेने की घोषणा की. मणिपुर सरकार ने इसकी घोषणा विधानसभा की विशेष बैठक के दौरान की. मणिपुर के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने सदन को बताया कि अगले तीन महीनों में सरकार इनर लाइन परमिट पर एक नया बिल लाएगी.
मणिपुर में विवादित ‘मणिपुर रेगुलेशन ऑफ विजिटर्स और माइग्रेंट वकर्स बिल’ के विरोध में राज्यव्यापी प्रदर्शन चल रहा था. जिसके बाद राज्य सरकार ने मणिपुर आंगुतक एवं प्रवासी कामगार विधेयक, 2015 को वापस लेने का फैसला किया.
‘आंगुतक एवं प्रवासी कामगार विधेयक-2015’ मणिपुर के मूल लोगों के हितों की रक्षा से संबंधित था. इस विधेयक का वे लोग विरोध कर रहे थे जो राज्य में इनर लाइन परमिट (आइएलपी) लागू करने की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने राज्य के मूल लोगों के हितों के लिए कुछ खास नहीं किया.
विदित हो कि इनर लाइन परमिट (आइएलपी) भारत सरकार की ओर जारी किया जाने वाल वह दस्तावेज है, जो एक सीमित अवधि के लिए एक संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र में एक भारतीय नागरिक की यात्रा की अनुमति देता है. यह दस्तावेज सुरक्षित राज्य में प्रवेश करने के लिए उन राज्यों के बाहर से आए भारतीय नागरिकों के लिए अनिवार्य है.
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