महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत सांसद निधि के इस्तेमाल की मंजूरी 23 जनवरी 2012 को दी गई. कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को मिलने वाली राशि को मनरेगा के तहत इस्तेमाल करने की मंजूरी प्रदान की.
कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार जिला पंचायत की मंजूरी के साथ टिकाऊ परिसंपत्तियों (कार्यों) के विकास के लिए सांसद निधि को मनरेगा के तहत जोड़ा जा सकता है. हालांकि मंत्रालय ने जारी दिशानिर्देश में यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई सांसद अपनी आवंटित निधि का इस्तेमाल मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में खर्च करने का निर्णय करते हैं तो जब तक काम पूरा न हो जाए तब तक वह इस योजना को वापस नहीं ले सकते हैं. इस मद में होने वाले खर्च का लेखा-जोखा सांसद निधि और मनरेगा दोनों को रखना भी अनिवार्य किया गया है.
ज्ञातव्य हो कि स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए संसद सदस्य को सांसद निधि के तौर पर सालाना 5 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं.
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