मेघालय राज्य सरकार ने 03 दिसंबर 2014 को संविधान की आठवीं अनुसूची में खासी भाषा को शामिल करवाने के लिए एक पैनल का गठन किया. समीति में कुल 15 सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री आरसी लालो करेंगे.
पिछले माह राज्य विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री डा. मुकुल संगमा ने खासी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए एक समीति गठित करने की बात कही थी.
खासी भाषा
• खासी भाषा, सोम-खमेर भाषाई शाखा की एक भाषा है और इसे खसिया, खस्सी और कोस्साया के नाम से भी जाना जाता है.
• खासी भाषा 01 मई, 2005 को स्टेट लैंग्वेज एक्ट- 2005 के राज्यपाल से स्वीकृत होने के पश्चात से राज्य की आधिकारिक भाषा है.
• मेघालय में यह भाषा लगभग 15 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है,यह भाषा मुख्यत: खासी और जैनितिया समुदाय के लोगं द्वारा बोली जाती है.
• खासी भाषा को अकादमिक स्तर पर भी सम्मानित दर्जा प्राप्त है और यह स्नातक और परास्नातक स्तर पर भी नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (नेहू) के पाठ्यक्रम में शामिल है. इसके अतिरिक्त उपरोक्त भाषा में एमफिल और पीएचडी करने वालों की भी अच्छी संख्या है.
• खासी लेखकों को वर्ष 1996 और 2012 में भाषा सम्मान और साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया था.
• वर्ष 1971 से खासी समुदाय के लोग, खासी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
• यूनेस्को ने भी 06 अप्रैल 2012 को विलुप्त होती जा रही भाषाओं की सूची से खासी को हटा दिया.
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