राजस्थान विधानसभा द्वारा 21 सितंबर 2015 को ‘राजस्थान तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक-2015’ को ध्वनि मत से पारित किया गया. इस विधेयक का उद्देश्य निराधार याचिकाओं को अदालतों में लाने से रोकना तथा व्यक्तिगत लाभ के लिए हो रहे कानून के दुरूपयोग को जांचना है.
राजस्थान इस विधेयक को पारित करने वाला पांचवा राज्य बन गया. इससे पहले महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा तथा मध्य प्रदेश ऐसा विधेयक पारित कर चुके हैं.
इस प्रकार की याचिकाएं एक पक्ष द्वारा दूसरे प्रतिद्वंदी पक्ष अथवा विरोधी को वश में करने एवं दुर्भावनापूर्वक कार्यों के कारण शुरू की जाने वाली कानूनी कार्यवाही मात्र होती है. इस विधेयक के अनुसार, इन याचिकाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है.
ऐसा करने से रोकने हेतु अदालतों द्वारा इन याचिकाकर्ताओं से भारी फीस ली गयी. यह याचिकाकर्ता आधारहीन याचिकाएं दायर कर के कानून का दुरूपयोग करते हैं तथा अपने निजी हितों को साधते हैं. इससे न केवल निर्दोष लोग परेशान होते हैं बल्कि पहले से बोझिल न्यायिक प्रणाली पर भी दबाव पड़ता है.
उपरोक्त के अतिरिक्त राजस्थान विधानसभा ने दो अन्य संशोधित विधेयक भी पारित किये.
कारागार (संशोधन) विधेयक, 2015 : इसका उद्देश्य जेलों की दशा में सुधार, हिंसा तथा गैंगवॉर को समाप्त करना है. इसमें कैदी को जेल में लाये जाने पर कठोर निर्देशों की व्यवस्था की गयी है.
राजस्थान पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2015 : इस विधेयक के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सड़क पर कोई बाधा पहुंचाता है अथवा किसी व्यक्ति अथवा संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उस पर 500 रुपये जुर्माना लगाया जायेगा. व्यक्ति के दूसरी बार किसी प्रकार की बाधा पहुंचाए जाने पर 5000 रुपये जुर्माना लगाया जायेगा. तीसरी बार दोहराने पर 10,000 रुपये जुर्माना एवं आठ दिन कारावास की सज़ा का प्रावधान है.
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