सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को तेजाब और दूसरे क्षयकारी पदार्थो की बिक्री के लिए 31 मार्च 2014 तक नियम तय करने का आदेश दिया. यह निर्देश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 3 दिसंबर 2013 को दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश तेजाब के हमले से दिल्ली में वर्ष 2006 में जख्मी नाबालिग लड़की लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.
पीठ ने अपने निर्देश में कहा है कि तेजाब हमले की घटना की जांच सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (Sub-Divisional Magistrate) से भी कराई जानी चाहिए, जिससे पता लगाया जा सके कि हमले में इस्तेमाल तेजाब कहां से हासिल किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों को तेजाब हमले की पीड़ित को प्लास्टिक सर्जरी सहित सभी उपचार नि:शुल्क उपलब्ध कराने के बारे में भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘हम सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को 18 जुलाई के आदेश के तहत दिए गए निर्देशों पर अमल करने और तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने संबंधी केंद्र सरकार के माडल नियमों के अनुरूप यथाशीघ्र और हो सके तो 31 मार्च, 2014 तक नियम तैयार करने का निर्देश देते हैं’.
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि तेजाब हमले के बारे में प्राथमिकी दर्ज होते ही संबंधित एसडीएम जांच करके ऐसा करने वाले को तेजाब मिलने के स्रोत का पता लगाएगा.
विदित हो कि देश में महिलाओं पर तेजाब के हमलों की घटनाओं पर अंकुश लगाने के इरादे से सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले इसे गैरजमानती अपराध बनाने और पीड़ित के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने का निर्देश दिया था. तीन लाख रुपए की राशि में से एक लाख रुपए का भुगतान तेजाब के हमले की घटना को राज्य सरकार के संज्ञान में लाए जाने के 15 दिन के भीतर ही करना होगा. तेजाब जैसे पदार्थ की खरीद-बिक्री के लिए प्रशासन फोटो पहचान पत्र जारी करेगा और इस पदार्थ की बिक्री 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को नहीं की जाएगी.
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