भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 21 अप्रैल 2015 को केरल के आर्थोडाक्स थियोलॉजिकल सेमिनरी या ओल्ड सेमिनरी, कोट्टायम के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट जारी किया.
ओल्ड सेमिनरी की स्थापना मालंकर आर्थोडाक्स चर्च ने की थी. आर्थोडाक्स थियोलॉजिकल सेमिनरी को ओल्ड सेमिनरी या कोट्टायम सीरियाई कॉलेज के रूप में जाना जाता है. आर्थोडाक्स थियोलॉजिकल सेमिनरी को मलंकारा आर्थोडाक्स सीरियन चर्च के सेंट थॉमस ईसाइयों द्वारा संचालित किया जाता है.
सेमिनरी चर्च के पादरियों ने प्रशिक्षण और विकास के लिए अपने योगदान के अलावा , मानव विकास के क्षेत्र में अपनी भूमिका अदा की. सेमिनरी के सहयोग से खुला ‘कोट्टायम कॉलेज’ राज्य का पहला अंग्रेजी शिक्षण संस्थान है. इसके अलावा इस कॉलेज में मलयालम, ग्रीक, लैटिन, हेब्रू, सिरिएक और संस्कृत की भी पढ़ाई होती है.
पहला प्रिंटिंग प्रेस सेमिनरी के परिसर में स्थापित किया गया था और सेमिनरी के विद्वानों ने मलयालम लिपि के मानकीकरण तथा एकीकृत करने में सक्रिय रुप से हिस्सा लिया.
हरमन गुंडर्ट के साथ बेंजामिन बेली उन लोगों में से हैं जिन्होंने आधुनिक मलयालम भाषा व लिपि के विकास में अहम योगदान दिया. थेयोलॉजिकल सेमिनरी ने पहली बार मलयालम शब्दकोश की कल्पना की और उसे मुद्रित एवं प्रकाशित किया जो उसके नेताओं की प्रतिबद्धता को श्रद्धांजलि है. बाइबल का पहला भारतीय भाषा मलयालम में अनुवाद करने का श्रेय बेंजामिन बेली और कॉलेज तथा उसके नेतृत्व को जाता है.

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