7 मई 2015 को लोकसभा में किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक 2014 पारित कर दिया गया. यह विधेयक स्पष्ट रूप से अल्प, गंभीर एवं जघन्य अपराधों को वर्गीकृत करता है तथा प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग प्रक्रिया को परिभाषित करता है.
यह संशोधन विधेयक एक नए प्रावधान की जानकारी देता है जिसमें व्यस्क अपराध के दायरे में आने पर अपराधी घोषित किये गए किशोर को सुरक्षा नहीं दी जाएगी. इस विधेयक के साथ जघन्य अपराध करने वाले 16 से 18 आयुवर्ग के किशोरों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जा सकेगा.
लोकसभा में पारित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट वर्तमान एक्ट 2002 का स्थान लेगा. संशोधित बिल के मुताबिक 16-18 वर्ष की आयु के किशोर के जघन्य अपराध करने पर अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा यह देखा जाएगा कि अपराध बच्चे की तरह किया गया या फिर व्यस्क की तरह.
इस विधेयक में सरकार की ओर से करीब 42 संशोधन पेश किए गए. नए बिल में नए अपराधों को भी शामिल किया गया है. इनमें गैरकानूनी गोद लेना, स्कूलों में शारीरिक दण्ड, आतंकी संगठनों द्वारा बच्चों का उपयोग और निशक्त बच्चों के खिलाफ किए गए अपराध शामिल हैं.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अगस्त 2014 में लोकसभा में किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) विधेयक, 2014 पेश किया किया था. विधेयक को एक स्थाई समिति के पास भेज दिया गया था, जिसने कानूनी तौर पर किशोर की उम्र 18 वर्ष रखने की सिफारिश की थी.
सरकार ने समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए, जघन्य मामलों में किशोर की उम्र घटाकर 16 साल करने का फैसला किया.
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