देश में खनन क्षेत्र को विनियमित करने के क्रम में लोकसभा ने 3 मार्च 2015 को खान और खनिज (विकास और विनियमन)संशोधन विधेयक 2015 पारित किया. यह विधेयक अधिनियमित होने पर खान और खनिज(विकास और विनियमन)अधिनियम 1957 का स्थान लेगा.
विधेयक 24 फ़रवरी 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था.
विधेयक के प्रावधान
•यह विधेयक बॉक्साइट, चूना पत्थर, लौह और मैंगनीज अयस्क को अधिसूचित खनिजों के रूप में शामिल करने के क्रम में खान और खनिज(विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 में चौथी अनुसूची जोड़ेगा.केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा इस अनुसूची में संशोधन कर सकती है.
•यह खनन लाइसेंसिंग में पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन की नई श्रेणी को जोड़ेगा.
•यह विधेयक केंद्र सरकार को अतिरिक्त पट्टे प्रदान करने के स्थान पर खनन क्षेत्र की सीमा को बढ़ाने की अनुमति देता है.
•यह विधेयक कोयला, लिग्नाइट और परमाणु खनिजों को छोड़कर अन्य सभी खनिजों के लिए पट्टे की अवधि में परिवर्तन करेगा, खनिजों के लिए खनन पट्टों को 50 साल की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा. पट्टे की अवधि समाप्त होने पर इसे नए सिरे से नीलामी के लिए रखा जाएगा.
•इस विधेयक के अनुसार राज्य सरकार अधिसूचित और गैर अधिसूचित खनिजों के लिए खनन पट्टों और पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टों को जारी करेगी.
•सभी पट्टों को ई-नीलामी,प्रतिस्पर्धी बोली द्वारा आवंटित किया जाएगा.
•विधेयक में बताया गया है की केंद्र सरकार बोली लगाने वालों के चयन के लिए नीलामी के नियम, शर्तों और प्रक्रिया को निर्धारित करेगी.
•खनन पट्टा या पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टा धारक राज्य सरकार के अनुमोदन के पश्चात किसी भी पात्र व्यक्ति को पट्टा हस्तांतरण कर सकते हैं.
•विधेयक में एक जिला खनिज फाउंडेशन(डीएमएफ) और एक राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट(एनएमईटी) के निर्माण की भी बात कही गई. डीएमएफ जहाँ राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया जाएगा वहीँ एनएमईटी केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किया जाएगा.
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