प्रोफेसर जीन के बिअर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय के नेशनल इंस्ट्यूट ऑफ बायोमेडिकल इमेजिंग एंड बायोइन्जिनियरिंग में दुनिया का सबसे तेज 2डी कैमरा विकसित किया. यह शोध 3 दिसंबर 2014 को जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ. यह कैमरा एक सेकेंड में 100 बिलियन तस्वीरें खींच सकता है और बायोमेडिसिन, खगोल विज्ञान और फोरेंसिक जैसे क्षेत्रों में व्यापक रुप से उपयोगी हो सकता है.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लेजर से खींची गई चार तस्वीरों से एक फिल्म तैयार करने के लिए कंप्रेस्ड अल्ट्राफास्ट फोटोग्राफी (सीयूपी) तकनीक का इस्तेमाल किया. यह 2डी कैमरा कोडक या कैनन कैमरे की तरह नहीं है. यह उच्चस्तरीय सूक्ष्मदर्शी और दूरबीन के साथ काम करने वाले उपकरणों की एक श्रृंखला है. इसके इस्तेमाल से तीव्र गति से होने वाली प्राकृतिक, भौतिक और आकाशीय घटनाओं को रिकॉर्ड किया जा सकता है.
इस कैमरे का इस्तेमाल फारेंसिक साइंस के क्षेत्र में भी किया जा सकता है. सीयूपी एक विशेष कैमरा लेंस के जरिये किसी वस्तु की तस्वीर खींचता है. इस वस्तु के फोटोंस का इस्तेमाल कर उसे ट्यूब के आकार की संरचना से डिजिटल माइक्रो मिरर तक का सफर तय कराया जाता है. इन माइक्रो मिरर का इस्तेमाल तस्वीर को एनकोड करने के लिए किया जाता है फिर फोटोंस को इलेक्ट्रोंस में बदला जाता है. चार्ज कप्लड डिवाइस (सीसीडी) इन नए आंकड़ों को इकट्ठा करता है. वर्तमान में मौजूद इमेजिंग तकनीक बहुत सीमित है जिसकी साहयता से एक सेकेंड में केवल दस मिलियन तस्वीरें ही खींची जा सकती हैं.
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