1 दिसम्बर: विश्व एड्स दिवस
विश्व एड्स दिवस 1 दिसम्बर 2013 को विश्वभर में मनाया गया. वर्ष 2011 से वर्ष 2015 तक एड्स दिवस का केंद्रीय विषय गैटिंग टू जीरो (शून्य की तरफ बढ़ना) रखा गया है, इसका उद्देश्य है-नए एचआईवी संक्रमण, भेदभाव और एड्स से होने वाली मौतों को समाप्त करने के प्रयास करना.
विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य
यह दिन इस जानलेवा रोग के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है और एचआईवी तथा एड्स की रोकथाम, उपचार और देखभाल को बढ़ावा देता है.
विश्व एड्स दिवस से संबंधित मुख्य तथ्य
संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व एड्स दिवस का प्रारंभ 1 दिसम्बर 1988 को किया गया. इसका उद्देश्य एचआईवी संक्रमण से होने वाले एड्स रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.
एड्स क्या है?
एड्स एक खतरनाक बीमारी है, मूलतः असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एड्स के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. एड्स का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम'. न्यूयॉर्क में वर्ष 1981 में इसके बारे में पहली बार पता चला था. भारत में पहला एड्स मरीज वर्ष 1986 में मद्रास में पाया गया था.
विदित हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में दस से उन्नीस वर्ष की आयु के 20 लाख से अधिक किशोरों में एचआईवी संक्रमण है. इनमें से ज्यादातर को उचित देखभाल और मदद नहीं मिल पाती. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2005 और वर्ष 2012 के बीच एचआईवी के कारण किशोरों की मौत में भी 50 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
भारत में स्थिति बेहतर है. एचआईवी और एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान भारत में एचआईवी के नए संक्रमण में 57 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.
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