उन शहरी समूहों, जहां आधारभूत ढांचा रहन-सहन से दूर हो, को पुनर्गठित करने को शहरी कायाकल्प कहते हैं. शहरी कायाकल्प की अवधारणा का उपयोग दुनिया के प्रमुख शहरों यथा हांगकांग, सिंगापुर आदि जैसे कई शहरों में किया गया है.
शहरी कायाकल्प या पुनर्विकास या नवीकरण के लिए ऐसे प्राधिकरणों के गठन की आवश्यकता है जो 'बड़े पैमाने पर पुनर्विकास अलग-अलग भवनों का पुनर्निर्माण या विशिष्ट सुविधाओं का प्रावधान भी हो को शहरी क्षेत्रों में ले आएं. एक निश्चित समय के बाद जो आवास पुराने हो गए हैं उन्हें उनके स्थान पर नए आवास निर्मित किए जाएं.
इस प्रणाली को लागू करने में राजनीतिक संवेदनशीलता और समुदाय के विश्वास के साथ चरम पारदर्शिता की आवश्यकता होती है. भारत के संदर्भ में यह जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) का पुनर्गठन है जो 10 वर्ष पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा दिसंबर 2005 में गठित की गई थी.
जो भी हो जेएनएनयूआरएम भारत में किसी भी इलाके में 'शहरी नवीकरण' के परिणाम पर खरा नहीं उतरा है. यह केवल लोफ्लोर की एसी और नान एसी बसों पर ही लिखा दिखाई देता है.
शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए गठित उच्च अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति की 2011 की रिपोर्ट में जेएनएनयूआरएम ने आवश्यक निवेश या सेवा में सुधार के लिए कुछ भी नही कहा था. वर्ष 2012 में कैग (Comptroller Auditor General) ने जेएनएनयूआरएम विफल, धनराशि का अपूर्ण व्यय,योजनाओं को पूरा ना करना आदि कहा.
जेएनएनयूआरएम में अनेक कमियां हैं. वर्ष 2014 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने जेएनएनयूआरएम के स्थान पर एक नवीन योजना को शुरू करने की बात कही जिसका केंद्र बिंदु जीआईएस आधारित योजना तैयार करना है. इसकी परिणति तीन योजनाओं के रूप में आई.
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