श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने 25 अगस्त 2011 को देश से आपातकाल हटाने का निर्णय लिया. श्रीलंका की संसद में राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने सामान्य कानून और लोकतांत्रिक तरीके से देश के कामकाज को चलाने के लिए आपातकाल वापस लेने का प्रस्ताव रखा.
राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका की संसद को बताया कि मई 2009 में तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे (लिबरेशन ऑफ तमिल ईलम) से युद्ध खत्म होने के बाद से देश में आतंकवादी गतिविधियां खत्म हो गई हैं. अतः 9 सितम्बर 2011 को खत्म होने वाली आपातकाल अवधि को नहीं बढ़ाया जाना है.
श्रीलंका के संविधान के अनुसार वहां की संसद को हर माह आपातकाल की अवधि बढ़ानी पड़ती थी. कुछ समय अंतरालों को छोड़कर वर्ष 1971 से श्रीलंका में आपातकाल लगा हुआ है. श्रीलंका के आपातकालीन कानून में सुरक्षा बलों को वैसे किसी भी व्यक्ति को एक वर्ष तक हिरासत में रखने का प्रावधान था जिसके बारे में उन्हें ऐसा लगे कि वह अपराध कर सकता है.
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