संसद ने 5 अगस्त 2015 को ‘दिल्ली उच्च न्यायालय संशोधन विधेयक 2015’ को मंजूरी प्रदान की. यह विधेयक दिल्ली उच्च न्यायालय के संचालन को सुगम बनाने में मदद करेगा. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य दिल्ली उच्च न्यायालय अधिनियम, 1966 में संशोधन करना है.
यह विधेयक मई 2015 में राज्य सभा से पारित हो चुका है. इस संशोधन विधेयक के लागू होने पर दिल्ली उच्च न्यायलय 2 करोड़ रुपए तक के धन संबंधी दीवानी वादों को दिल्ली की नौ जिला अदालतों में स्थानांतरित कर सकेगी. वर्तमान में कम मूल्य की सम्पत्ति से जुड़े वादों को उच्च न्यायालय में दायर करना होता है क्योंकि 20 लाख रूपये और उससे अधिक राशि से जुड़े दीवानी वाद इसके क्षेत्राधिकार में आते हैं.
विधेयक के उद्देश्यों में यह बताया गया है कि इसके कारण दिल्ली उच्च न्यायालय पर काम का बोझ काफी बढ़ गया है. और दिल्ली में रहने वाले लोगों को अपने मामलों में न्याय के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है
इस संशोधन के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लंबित वाद को प्रासंगिक अधीनस्थ अदालत में स्थानांतरित करने शक्ति प्रदान की गई है.
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