भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम और सतह से सतह पर मार करने वाले अपने स्वदेशी प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी-2 का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. मिसाइल का प्रक्षेपण ओडिशा के बालेश्वर में चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आइटीआर) के तृतीय परिसर स्थित मोबाइल लांचर से 28 मार्च 2014 को सुबह 9.45 बजे किया गया.
पृथ्वी-2 के प्रभाव को मापने तथा उसकी परिशुद्धता में सुधार के लिए यह परीक्षण किया गया.
यह अत्याधुनिक मिसाइल देश के एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आइजीएमपीडी) के तहत विकसित पहली बैलेस्टिक मिसाइल है.
पृथ्वी-2 प्रक्षेपास्त्र 500 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम तक परमाणु और परंपरागत दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है. पृथ्वी 2 की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है. यह मिसाइल नौ मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी है. मिसाइल के उड़ान के समय स्थिति पर नजर रखने के लिए रडारों तथा विद्युत प्रकाशीय प्रणाली के माध्यम से नजर रखी गई.
यह एक सफल प्रक्षेपण था और अभियान के सभी उद्देश्यों को हासिल कर लिया गया.
प्रक्षेपास्त्र के प्रक्षेप पथ पर डीआरडीओ रेडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणालियों और ओडिशा के तट के निकट स्थित दूरमापी केंद्रों से नजर रखी गई. सामरिक बल कमान (एसएफसी) में 2003 में शामिल किए गए पृथ्वी-2 का प्रशिक्षण परीक्षण स्पष्ट रुप से किसी संभावित परिस्थिति से निपटने में देश की परिचालन संबंधी तत्परता और इसकी विश्वसनीयता की ओर संकेत करता है.
पृथ्वी-2 देश के प्रतिष्ठित एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है और अब यह एक प्रमाणित प्रौद्योगिकी है. प्रक्षेपास्त्र को उत्पादन भंडार से क्रमरहित तरीके से चुना गया था और विशेष रुप से गठित एसएफसी ने नियमित प्रशिक्षण गतिविधि के तौर पर पूरी प्रक्षेपण गतिविधि को अंजाम दिया.
वर्ष 2003 में भारत के रणनीतिक बल कमान में शामिल पृथ्वी-2 मिसाइल देश के प्रतिष्ठित आइजीएमबीटी एकीकृत निदेशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई पहली मिसाइल है.
इससे पहले पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण 7 जनवरी 2014 को किया गया था.
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