Supreme Court on 27 April 2011 strike down the airport development fee (ADF) being charged by private operators at Delhi and Mumbai airport. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने 27 अप्रैल 2011 को दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर वसूले जाने वाले एयरपोर्ट डेवलपमेंट फीस (airport development fee) को समाप्त कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन व न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन की याचिका स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया.
ज्ञातव्य हो कि दिल्ली में घरेलू उड़ानों पर 200 रुपये और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर 1300 रुपये एयरपोर्ट डेवलपमेंट फीस (airport development fee) लिया जाता था। जबकि मुंबई में यह शुल्क 100 रुपये और 600 रुपये था. कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन ने यह कहते हुए हवाई अड्डा विकास शुल्क को चुनौती दी थी कि यह शुल्क सिर्फ हवाई अड्डा आर्थिक नियमन प्राधिकरण (AERA: Airports Economic Regulatory Authority) ही लगा सकता है. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL: डायल: Delhi International Airport Ltd.) व मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL: मायल: Mumbai International Airport Ltd) ये शुल्क नहीं लगा सकते. ये कंपनियां सिर्फ हवाई अड्डे का प्रबंधन करती हैं.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अपने फैसले में यह भी बताया कि हवाई अड्डों का प्रबंधन करने वाली कंपनियां डायल और मायल केंद्र सरकार के 9 फरवरी 2009 और 27 फरवरी 2009 के पत्रों के आधार पर हवाई अड्डा विकास शुल्क तब तक नहीं वसूल सकतीं जब तक कि नियामक प्राधिकरण शुल्क की दर तय नहीं करता. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने दोनों कंपनियों को शुल्क वसूली नहीं करने का निर्देश दिया. साथ ही यह आदेश दिया कि दोनों कंपनियां अभी तक वसूला गया शुल्क एयरपोर्ट अथॉरिटी के खाते में जमा कराएंगी. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यात्रियों से विकास शुल्क के नाम पर वसूली गई राशि उसी मद में खर्च हो.
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