सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सतशिवम ने न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय एक जांच समिति का गठन 26 नवंबर 2013 को किया. इस समिति को "सर्वोच्च न्यायालय की लिंग संवेदनशीलता और आंतरिक शिकायत समिति" (Supreme Court Gender Sensitisation and Internal Complaints Committee) नाम दिया गया. इस समिति का कार्य सर्वोच्च न्यायालय के परिसर में यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटना है.
इस समिति का गठन कार्यस्थल पर यौन शोषण की शिकायतों से निपटने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशाखा प्रकरण में सुनाए गए निर्णयों में प्रतिपादित दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया. निर्णयों में प्रतिपादित दिशा-निर्देशों के तहत समिति में महिला सदस्यों का बहुमत होना चाहिए और दो सदस्य सिविल सोसायटी के होने चाहिए जिनका मनोनयन भारत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा किया जाना है.
समिति के सदस्य
इस समिति में छह महिला सदस्यों को शामिल किया गया है. समिति में बाहर के दो सदस्यों- डा. जी मोहन गोपाल, भारती अली की भी नियुक्ति की गई. डा. जी मोहन गोपाल, भारती अली का सर्वोच्च न्यायालय से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है.
• न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर (सर्वोच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश)
• एल नागेश्वर राव (वरिष्ठ अधिवक्ता)
• डा. जी मोहन गोपाल (राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान)
समिति की महिला सदस्य
• इन्दु मल्होत्रा (वरिष्ठ अधिवक्ता)
• अधिवक्ता बीना माधवन (सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि),
• बी सुनीता राव (सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन की प्रतिनिधि)
• भारती अली (बाल अधिकारों के केन्द्र की ‘हक’ की सह निदेशक)
• रचना गुप्ता (समिति की सदस्य सचिव, न्यायालय की अतिरिक्त रजिस्ट्रार )
डा. जी मोहन गोपाल और भारती अली न्यायालय के बाहर के व्यक्ति हैं जिनका मनोनयन प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत किया गया.
भारती अली वर्ष 1991 से महिलाओं और बच्चों से जुड़े मसलों पर काम कर रही हैं और वह हक (सेन्टर फॉर चाइल्ड राइट्स) की संस्थापक एवं सह निदेशक हैं. डा. जी मोहन गोपाल भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की अकादमी परिषद के सदस्य हैं.
विदित हो कि कानून की एक इंटर्न ने आरोप लगाया था कि सेवानिवृत्त एक न्यायाधीश के साथ इंटर्न के रूप में काम के दौरान उन्होंने उसका यौन शोषण किया था. इस मामले की जांच न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति कर रही है. इस बीच, अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह सहित महिला वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि इस इंटर्न के आरोपों की जांच के लिए विशाखा प्रकरण के फैसले के अनुरूप समिति का फिर से गठन किया जाए.
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