सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जनवरी 2014 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और रेल मंत्रालय को रेल की पटरियों पर हाथियों की मौत रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया. सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की पीठ ने दोनों मंत्रालयों को कर्नाटक सरकार द्वारा पिछले वर्ष अपनाए गए उपायों का अध्ययन करने के लिए निर्देश दिये, जिनसे हाथियों के साथ होने वाली दुर्घटनाएँ न्यूनतम करने में मदद मिले.
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 10 दिसंबर 2013 के आदेश को संशोधित करने की रेल मंत्रालय की दलील भी ख़ारिज कर दी. अपने 10 दिसंबर 2013 के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने रेल मंत्रालय से कहा था कि वह:
• हाथियों की रिहाइश वाले वनों से गुजरते समय ट्रेनों की गति घटाने के उपाय करे;
• वनों से गुजरने वाले रेल-मार्गों को बदले; और
• जिन क्षेत्रों में ये दुर्घटनाएँ देखने में आई हैं, उनमें रात को मालगाड़ियों की आवाजाही बंद करे.
रेल मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी-फलकता खंड पर तेज चलने वाली और रात्रि-ट्रेनों को डाइवर्ट करने तथा सिलीगुड़ी और अलीपुरदुआर के बीच मालगाड़ियों की आवाजाही रोकने के न्यायालय के निर्देशों को संशोधित करने की माँग की थी.
पीठ ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा रेलवे इन सब पहलुओं की जाँच करेंगे और अपने विस्तृत सुझाव तथा जो कदम वे उठाने जा रहे हैं, उनकी जानकारी प्रस्तुत करेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाएँ न घटें और वन्यजीवन की सुरक्षा की जा सके.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय शक्ति प्रसाद नायक द्वारा एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किए जाने के बाद दिया. अपनी पीआईएल में उन्होंने हाथियों की रिहाइश के पास से गुजरने वाली तेज गति की ट्रेनों से और साथ ही बिजली लगने (इलेक्ट्रोक्यूशन) से भी होने वाली उनकी मौतें रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने के निर्देश दिए जाने की माँग की थी. उन्होंने हाथियों को ऐसी घटनाओं का शिकार होने से बचाने के लिए रणनीतियों सहित दिशानिर्देश बनाए जाने की भी माँग की थी.
कर्नाटक हाथी कार्य-दल की रिपोर्ट
कर्नाटक हाथी कार्य-दल की अध्यक्षता प्रो. रमन सुकुमार ने की थी. कार्य-दल ने अपनी रिपोर्ट कर्नाटक उच्च न्यायालय को सितंबर 2012 में प्रस्तुत की थी. कार्य-दल की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार हैं :
• इस प्रयोजन के लिए अलग-अलग संरक्षण-उद्देश्यों और लक्ष्यों के सेट वाले तीन जोन प्रस्तावित किए गए गए थे. ये जोन हैं हाथी-संरक्षण जोन, हाथी-मनुष्य सह-अस्तित्व जोन और हाथी-स्थानांतरण जोन.
• राज्य में हाथी-संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में योजना बनाने, सलाह देने और सहायता करने के व्यापक आदेश के साथ राज्य वन्यजीवन बोर्ड के अंतर्गत एक कर्नाटक हाथी विशेषज्ञ दल की स्थापना करें.
• कुनियोजित वाणिज्यिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और प्राकृतिक संसाधन-निष्कर्षण के कारण हाथियों के आवास की हानि और विखंडन.
• हाथियों के आवास को कानूनी तरीके से समेकित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उच्चस्तरीय किए जाने की आवश्यकता है.
• अधिक कानूनी सुरक्षा के साथ हाथियों के आवासों के बीच कनेक्टिविटी सुधारना.
• निर्दिष्ट वनों से लगते वनेतर क्षेत्रों में भूमि के प्रयोग का प्रबंधन.
• बड़े पैमाने पर मानव-संसाधन के प्रयोग से हाथियों के आवासों पर पड़ने वाले दबाव को घटाना.
• हाथी-मानव संघर्षों में कमी लाना और उनका प्रबंधन करना.
• हाथियों की मृत्यु के समस्त मामलों में कार्य-दल ने सिफारिश की है कि समस्त पोस्टमार्टम-परीक्षण बाहरी प्रेक्षकों के साथ किए जाएँ.
• हाथी-संरक्षण के लिए प्रशासन को मजबूत और युक्तसंगत बनाना.
• राज्य मुख्य वन्यजीवन-आवासों के आसपास पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को अधिसूचित कर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का पूर्णतम उपयोग करेगा, ताकि कुनियोजित पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर से उत्पन्न खतरों को न्यूनतम किया जा सके.
• सीमा शेयर करने वाले राज्यों के बीच समन्वय-तंत्र स्थापित किए जाने की आवश्यकता है.
• केएफडी को हाथी-संरक्षण और प्रबंधन के लिए शोध और निगरानी करने हेतु क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है और यदि जरूरी हो तो इसके लिए गैरसरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी की जा सकती है. .
• बंधक बनाए गए हाथियों के कल्याण और प्रबंधन के लिए सुझाए गए उपायों में बंधक हाथी प्रतिष्ठान को मजबूत बनाना, प्रत्येक हाथी के लिए अलग सेवा-पंजी रखना और दयालुता के प्रशिक्षण और प्रबंधन की कला लागू करना शामिल हैं.
हाथी परियोजना से संबंधित तथ्य
हाथी परियोजना (Project Elephant, PE) भारत सरकार ने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में 1992 में निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ लागू की थी:
• हाथियों, उनके आवासों और गलियारों की सुरक्षा
• मनुष्य-पशु संघर्ष के मुद्दों का समाधान
• पालतू हाथियों का कल्याण
हाथी परियोजना के अंतर्गत देश में हाथियों की रिहाइश वाले प्रमुख राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है.
हाथी परियोजना मुख्य रूप से इन 13 राज्यों/संघशासित क्षेत्रों में चलाई जा रही है : आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल. छोटी सहायता महाराष्ट्र और छतीसगढ़ को भी दी जा रही है.
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