सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सूचना के अधिकार कानून (RTI: Right to Information Act, आरटीआइ) के तहत छात्रों को अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने का अधिकार दिया. 9 अगस्त 2011 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में बताया कि जांची जा चुकी उत्तर पुस्तिकाएं आरटीआइ कानून में दी गई सूचना की परिभाषा के तहत आती हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन व न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 5 फरवरी 2009 को दिए गए फैसले को सही ठहराते हुए यह निर्णय दिया. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद सभी तरह की शैक्षिक या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को आरटीआइ के तहत अपनी जांची जा चुकी उत्तर पुस्तिकाएं देखने और उसकी फोटोकॉपी करवाने का अधिकार होगा.
ज्ञातव्य हो कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में बताया था कि छात्र आरटीआइ के तहत अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देख सकते हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने साथ में यह भी टिप्पणी की थी कि जब मतदाताओं को उम्मीदवार का बायोडाटा जानने का अधिकार है तो छात्रों को तो अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने का उससे ज्यादा अधिकार है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के इस फैसले को सीबीएसई, वेस्ट बंगाल बोर्ड आफ सेकेन्ड्री एजूकेशन, इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आफ इंडिया, कलकत्ता विश्वविद्यालय, वेस्ट बेंगाल काउंसिल आफ हायर सेकेन्ड्री एजूकेशन, चेयरमैन वेस्ट बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन, असम सर्विस पब्लिक सर्विस कमीशन, व बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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