भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 30 अगस्त 2014 को अपने ग्राहक को पहचानों (नो योर कस्टमर–केवाईसी) के विवरण अन्य वित्तीय क्षेत्र के विनियमित संस्थाओं के साथ साझा करने को अनुमति प्रदान की. नए मानदंडों के अनुसार, 'केआरए' सिस्टम वित्तीय क्षेत्र में 'केवाईसी' सूचना के मिलान औऱ साझा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी भी केंद्रीय केवाईसी से जोड़ा जा सकता है. ये नए मानडंद ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी’ के नाम से जाना जाएगा.
सेबी के नियम के तहत, एक ग्राहक जिसने सेबी द्वारा पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ केवाईसी पूरा कर लिया है उसे दूसरे मध्यस्थ के साथ ऐसा करने के समय फिर से पूरी प्रक्रिया नहीं दोहरानी होगी. इससे पहले, केवाईसी सूचना को साझा करने की सुविधा सिर्फ सेबी पंजीकृत मध्यस्थों के बीच ही उपलब्ध थी. लेकिन अब पूंजी बाजार के निवेशकों की केवाईसी सूचना सेबी के केंद्रीकृत केआरए (केवाईसी पंजीकरण एजेंसी) सिस्टम पर उपलब्ध है.
अपने ग्राहक को पहचानें (नो योर कस्टमर–केवाईसी)
'अपने ग्राहक को पहचानें' शब्द का इस्तेमाल ग्राहक पहचान प्रक्रिया में किया जाता है. केवाईसी में असली पहचान का निर्धारण और खातों के लाभार्थी स्वामित्व,धन का स्रोत, ग्राहक के व्यवसाय की प्रकृति, ग्राहक के व्यापार के संबंध में संचालन संबंधी तर्कसंगतता के लिए उचित प्रयास करना शामिल है, जिससे बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन में मदद मिलती है. केवाईसी दिशानिर्देशों का उद्देश्य काले धन को वैध बनाने के लिए इरादतन या गैर इरादतन बैंकों का इस्तेमाल होने से रोकना है. केवाईसी में दो घटक हैं–पहचान औऱ पता. पहचान वहीं बनी रहती है जबकि पता बदल सकता है और बैंकों को समय–समय पर अपने रिकार्ड को अपडेट करने की जरूरत होती है.
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