शोध जर्नल ऑफ कार्डियोवेस्कुलर फार्माकॉलोजी एंड थेराप्युटिक्स के अनुसार शोधकर्ताओं ने स्टेम कोशिकाओं की मदद से एक छोटा ह्रदय का डिजाइन तैयार करने में सफलता प्राप्त की है.
स्टेम कोशिकाओं की मदद से एक छोटा ह्रदय का डिजाइन तैयार करने संबंधी सुचना ‘शोध जर्नल ऑफ कार्डियोवेस्कुलर फार्माकॉलोजी एंड थेराप्युटिक्स’ के मार्च 2014 के अंक में प्रकाशित हुआ.
शोध जर्नल के अनुसार, स्टेम कोशिकाओं की मदद से तैयार होने वाले छोटे ह्रदय की मदद से काम करना बंद कर चुकी शिराओं से रक्त का बहाव दोबारा शुरू किया जा सकेगा तथा इसके जरिए ह्रदय के विभिन्न भागों में रक्त प्रवाहित किया जा सकेगा.
अमेरिका के जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में औषधि विज्ञान व शरीर विज्ञान के प्रोफेसर नरीन सारवयान के अनुसार इस मिनी हर्ट का निर्माण मरीज की व्यस्क स्टेम कोशिकाओं से किया जा सकता है. जिससे शरीर द्वारा नए ह्रदय को स्वीकार नहीं किए जाने के खतरे से बचा जा सकेगा.
शोध के मुताबिक, पहली बार ऐसा तथ्य सामने आया हैं, जहां स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल अंगों की मरम्मत की जगह उनके निर्माण में होगा.
स्टेमसेल से संबंधित मुख्य तथ्य:-
‘स्टेम सेल’ ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनका स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है. जिससे शरीर के किसी भी अंग को कोशिका से विकसित करने की क्षमता मिलती है. इसके साथ ही ‘स्टेम सेल’ अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है. वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है. इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है.
1960 में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला. स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्रोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है. वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग 30 वर्षो के लिए किया जा सकता है. अधिकांशत:स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त की जाती है.
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