स्वदेशी तकनीक से निर्मित युद्धपोत आईएनएस सहयाद्रि को मुंबई में 21 जुलाई 2012 को भारत की नौसेना में शामिल किया गया. आईएनएस सहयाद्रि की लंबाई 142.5 मीटर है.
आईएनएस सहयाद्रि को आईएनएस परियोजना-17 के तहत मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) में नौसेना के आंतरिक डिजाइन ब्यूरो के सहयोग से निर्मित किया गया. यह दो डब्ल्यूएम 18 रॉकेट लांचर माउंटिंग और सीआरएन 91 बंदूक से लैस है. यह लंबी अवधि के लिए 200 और छोटी अवधि के लिए 500 सैनिकों को समुद्र में ले जा सकता है.
आईएनएस सहयाद्रि आईएनएस श्रृंखला का तीसरा व अंतिम युद्धपोत है. इस श्रेणी के प्रथम दो पोत आईएनएस शिवालिक और आईएनएस सतपुड़ा हैं.
इससे पहले आईएनएस शिवालिक को अप्रैल 2010 में और आईएएनएस सतपुड़ा को अगस्त 2011 में नौसेना में शामिल किया गया. ये युद्धपोत भारतीय, रूसी और पश्चिमी देशों के हथियारों से लैस हैं. इनमें तीन इंच की ओटोब्रेडा तोप, डीटीए-53-956 टारपीडो लॉचर, आरबीयू-6000 रॉकेट लॉचर, जमीन से हवा में मार करने वाली 24 छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों वाला शटिल प्रणाली, क्लब श्रेणी की पोत भेदी क्रूज मिसाइलें, भारतीय सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और इजरायल की बराक-1 मिसाइल प्रणाली भी लगी हुई हैं.
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