प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 नवंबर 2015 को स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाइजेशन) का शुभारंभ किया. इसके साथ ही साथ प्रधानमंत्री ने गोल्ड सोवरीन बॉन्ड, गोल्ड कॉइन और गोल्ड बुलियन योजनाएं भी लॉन्च की. ये सभी तीनों स्वर्ण योजनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वर्ण की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने का एक दूरदर्शी प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाइजेशन) के तहत जमा की जाने वाली राशि की न्यूनतम कीमत 995 शुद्धता वाले 30 सोने के मूल्य के बराबर निर्धारित की गई है, जबकि जमा करने की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है. इसके साथ ही बैंकों द्वारा जमा किए गए सोने के लिए 995 शुद्धता के आधार पर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. जिसके तहत निर्धारित बैंक न्यूनतम एक से तीन वर्ष की अवधि के लिए सोना जमा करेंगे. स्वर्ण मौद्रीकरण योजना वर्तमान गोल्ड डिपोजिट योजना की जगह लागू की जाएगी. हालांकि गोल्ड डिपोजिट योजना के तहत जमा राशि अवधि पूरी होने तक या जमाकर्ता द्वारा अपनी पूरी जमा राशि निकाल लेने तक यह जारी रहेगी.
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा मान्यता प्राप्त कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (सीपीटीसी) पर जमा किया जाने वाला सोना स्वीकार किया जाएगा. इसके लिए निर्धारित नियम के अनुसार, मध्यावधि के तहत पांच से सात वर्ष के लिए और दीर्घावधि के तहत 12 से 15 वर्ष के लिए सोना स्वीकार करेंगे. न्यूनतम अवधि के लिए बैंक अपनी जिम्मेदारी पर सोना जमा करेंगे, लेकिन मध्यावधि और दीर्घावधि के लिए सरकार की जिम्मेदारी पर सोना जमा होगा. योजना के तहत जमा किए गए सोने को बीच में ही निकाला जा सकता है, लेकिन उसके लिए न्यूनतम लॉक-इन अवधि निर्धारित रहेगी और बीच में ही सोना निकाले जाने पर बैंक निजी स्तर पर हर्जाना वसूलेंगे.
सार्वभौम गोल्ड बांड योजना (सोवरीन गोल्ड बॉन्ड योजना) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक केंद्र सरकार की ओर से बॉन्ड जारी करेगा. इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बॉन्ड की पहली सीरीज के लिए सोवरीन गोल्ड बॉन्ड की कीमत 2,684 रुपये प्रति ग्राम निर्धारित की है.
भारतीय स्वर्ण सिक्का (गोल्ड कॉइन/गोल्ड बुलियन) योजना गोल्ड मोनेटाइजेशन कार्यक्रम का ही हिस्सा हैं. इस योजना के तहत पहली बार राष्ट्रीय स्वर्ण मुद्रा जारी की गई हैं, जिसमें राष्ट्रीय चिह्न के रूप में अशोक चक्र अंकित होगा.
उपरोक्त योजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इन योजनाओं को ‘सोने पे सुहागा’ जैसा बताया. प्रधानमंत्री के अनुसार, कोई कारण नहीं है कि भारत को गरीब देश कहा जाए, उसके पास 20,000 टन सोना है. उन्होंने कहा कि भारत में उपलब्ध सोने को उत्पादक उपयोग के लिए रखा जाना चाहिए और ये योजनाएं हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने का रास्ता दिखाती हैं.
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में हम कह सकते हैं कि सरकार द्वरा प्रारंभ की गई स्वर्ण योजनाएं निःसंदेह रूप में भारत में पड़ी उन सभी अक्रिय स्वर्ण जमावों को अर्थव्यवस्था के मुख्य धारा में लाने का एक दूरदर्शी प्रयास है, जहाँ न केवल स्वर्ण के वास्तविक मालिकों को इसपर ब्याज के रूप में आर्थिक लाभ होगा बल्कि सरकार भी इन स्वर्ण जमावों के भंडार को अपने आर्थिक क्रियाकलापों के संचालन में स्वर्ण-कोष के रूप में प्रयोग कर सकेगी. इसके साथ ही साथ प्रारंभ की गई ये सभी स्वर्ण योजनाओं का एक अन्य प्रमुख सकारात्मक प्रभाव काला-धन के रूप में जमा की जाने वाली स्वर्ण-कोषों पर नियंत्रण एवं हतोत्साहन के रूप में भी देखा जा सकता है. हम जानते हैं की भारतीय समाज में पुराने समय से सोना महिलाओं के सशक्तिकरण का एक स्रोत रहा है, और ये वर्तमान योजनाएं सशक्तिकरण की भावना को रेखांकित करेंगी एवं इसे आगे बढ़ाने में मददगार साबित होंगी.
अतः निःसंदेह रूप से हम स्वर्ण मौद्रीकरण योजना, सार्वभौम गोल्ड बांड योजना, स्वर्ण सिक्का योजना को केंद्र सरकार द्वारा देश के आर्थिक हित में लिया गया एक दूरदर्शी योजना का कह सकते हैं, जिसमें देश की आर्थिक दशा एवं दिशा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की आपार संभावना है.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation