स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संघीय कानून में संशोधन किया और विश्व के अन्य देशों के साथ सूचना के आदान– प्रदान हेतु अपने स्थानीय कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव किए. यह संशोधन भारत सहित विश्व के अन्य देशों को स्विस बैंकों में जमा काले धन की खोज में उनकी मदद करेगा. कर मामलों पर अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संशोधित संघीय कानून 1 अगस्त 2014 से प्रभावी हो गया.
संशोधन का प्रभाव
• काले धन के संदिग्ध जमाखोरों के बारे में जानकारी के लिए भारत और अन्य देशों को समूह में अनुरोध भेजना होगा.
• स्विस अधिकारी संदिग्ध व्यक्तियों या इकाईयों के बारे में उनके विवरण को साझा करने से पहले कोई पूर्व सूचना प्रदान नहीं करेंगे.
परन्तु भारत सहित अनुरोध करने वाले अन्य देशों को सूचना के आदान– प्रदान से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि खाता धारकों को पूर्व सूचना नहीं दी गई है. क्योंकि ऐसा नहीं करने से प्रशासनिक सहायता का उद्देश्य पूरा नहीं होगा और अन्वेषण विफल हो जाएगा.
बैंकिंग गोपनीयता के सुरक्षा नियमों में ढील देने और सूचना– के आदान– प्रदान के फ्रेमवर्क में सुधार के लिए संशोधन के द्वारा कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संघीय कानून में दस खंड शामिल किए गए हैं, लेकिन अधिनियम के कुछ खंडों को बनाए रखने का भी फैसला किया गया, जिसके अनुसार संबंधित व्यक्ति को इस प्रकार के किसी भी अंतरराष्ट्रीय सहायता के बारे में पूर्व सूचना दी जा सकती है और इसलिए, उस व्यक्ति को फैसला के खिलाफ अपील करने का अवसर मिलेगा और अनुरोध करने वाले देश को भेजने से पहले फाइलों का निरीक्षण किया जाएगा. यह कानून संदिग्ध अवैध खाता धारकों के बारे में विदेशी अधिकारियों के साथ प्रभावी और समय से होने वाले सूचना के आदान– प्रदान की राह में मुख्य बाधा साबित होगा.
नए राजपत्र अधिसूचना के अनुसार अगर विदेशी अधिकारी गोपनीयता के आधार को कुछ दस्तावेजों के मामले में दर्शाते हैं तब संघीय कर प्रशासन (एफटीए) व्यक्ति को संबंधित फाइलों के निरीक्षण के अपील करने की अनुमति देने से मना कर सकती है.
अधिनियम के अनुसार स्विस अधिकारी निम्न अनुरोध पर विचार नहीं करेंगे:
• अगर मामला गलत यात्रा से संबंधित हो.
• अगर वह अच्छे विश्वास के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.
• अगर वह स्विस कानून के तहत आपराधिक जुर्म के द्वारा प्राप्त सूचना पर आधारित हो.
ये प्रावधान तथाकथित एचएसबीसी सूची से भारत द्वारा सूचना हासिल करने के प्रयासों को धूमिल करेगा. आरोप लगाया गया था कि बैंक के एक पूर्व कर्मचारी ने ग्राहकों के बारे में गुप्त जानकारी चोरी कर उसे भारत और अन्य विदेशी अधिकारियों को दिया था.
पृष्ठभूमि
प्रमुख कानूनों में ढील देने का फैसला स्विस संघीय परिषद ने जून 2014 में संदिग्ध कर अपराधों की जांच करने वाले भारत और अन्य देशों द्वारा जबरदस्त दबाव डालने के बाद लिया था. यह फैसला स्विस संसद के मार्च 2014 में अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देने के बाद अनुवर्ती कार्रवाई के तौर पर किया गया. जबकि प्रस्तावित संशोधन के लिए जनमत संग्रह की समय सीमा 10 जुलाई 2014 को समाप्त हो चुकी है.
संशोधन भारत के लिए कैसे फायदेमंद हैं?
स्विट्जरलैंड ने उन भारतीयों की एक सूची तैयार की थी जिनपर स्विस बैंकों में काला धन जमा करने का संदेह है और उस विवरण को भारत सरकार के साथ साझा करने की प्रक्रिया शुरु की गई थी. लेकिन इसमें व्यक्तियों और इकाईयों की पहचान जाहिर नहीं की गई और न ही बैंकों में जमा रकम के बारे में बताया गया. यह जानकारी साझा न करने की वजह दोनों देशों के बीच सूचना के आदान– प्रदान संधि की गोपनीयता की शर्त थी.
भारत विश्व के उन 36 देशों में से है जिसने स्विट्जरलैंड के साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर कर मामलों में प्रशासनिक सहायता के लिए समझौता किया है.


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