हिंदी के प्रख्यात आलोचक डॉ नामवर सिंह ने साहित्यकार अमरकांत को वर्ष 2009 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया. इलाहाबाद में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में साहित्यकार अमरकांत को 45वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 13 मार्च 2012 को दिया गया. अमरकांत को यह पुरस्कार आजादी की लड़ाई पर आधारित उनके उपन्यास इन्हीं हथियारों से के लिए दिया गया.
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2009 के ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त तौर पर चयनित किया गया था. अक्टूबर 2011 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल. जोशी ने लखनऊ के एक अस्पताल में जाकर साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया था.
अमरकांत के प्रसिद्ध उपन्यासों में कंटीली राह के फूल, इन्हीं हथियारों से, सूखा पत्ता, काले उजले और बीच की दीवार इत्यादि हैं. इसके अलावा उनके कहानी संग्रह में जिंदगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र मिलन और कुहासा प्रमुख है. उनके 12 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. अमरकांत को लेखन में आम आदमी के संघर्ष को भाषा व अभिव्यक्ति देने के लिए जाना जाता है. इन्हीं हथियारों से नामक उपन्यास के लिए इन्हें वर्ष 2007 में साहित्य अकादमी सम्मान मिल चुका है.
भारत में साहित्य के शीर्ष सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयन समिति के अध्यक्ष डॉ सीताकांत महापात्र ने 20 सितंबर 2011 को 45वें (वर्ष 2009) और 46वें (वर्ष 2010) ज्ञानपीठ पुरस्कारों की घोषणा की थी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation