आतंकवाद विरोधी दिवस 2021: इतिहास और महत्व

May 21, 2021, 06:38 IST

Anti-Terrorism Day 2021: आतंकवाद विरोधी दिवस 21 मई को हर साल मनाया जाता है ताकि आतंकवादियों के कारण होने वाली हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. इस बार यह कोरोना महामारी के बीच मनाया जाएगा. आइये आतंकवाद विरोधी दिवस, इसे 21 मई को क्यों मनाया जाता है, इसका इतिहास और महत्व के बारे में अध्ययन करते हैं.

Anti-Terrorism Day
Anti-Terrorism Day

Anti-Terrorism Day 2021: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्‍टे आतंकवादियों ने इसी दिन यानी 21 मई 1991 को हत्या कर दी थी.

आतंकवाद के बारे में युवाओं को ज्ञान प्रदान करने, मानव पीड़ा और जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. यह दिन लोगों को आतंकवाद विरोधी सामाजिक कार्य के लिए भी जागरूक करता है.

हर दिन हमें एक आतंकवादी घटनाओं या किसी अन्य के बारे में समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से पता चलता है. मूल रूप से आतंकवादी आम लोगों के मन में भय पैदा करना चाहते हैं. बिना किसी पश्चाताप के, वे हजारों लोगों को मार देते हैं क्योंकि उनके पास कोई विवेक नहीं है.

मानवता और शांति के संदेश का प्रचार करना आवश्यक है. भारत सरकार ने आतंकवाद की गतिविधियों से लड़ने के महत्व को उजागर करने के लिए हर साल आतंकवाद विरोधी उत्सव मनाने का कदम उठाया है.

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आइये अब जानते हैं कि 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस क्यों मनाया जाता है?

राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस की आधिकारिक घोषणा 21 मई, 1991 को भारत के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद की गई थी. वह आतंकवादी द्वारा एक अभियान के दौरान तमिलनाडु में मारे गए थे. फिर, वी.पी. सिंह सरकार ने 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. तभी से यह देश में मनाया जाता है. साथ ही, इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों इत्यादि में आतंकवाद विरोधी प्रतिज्ञा ली जाती है.

इसके पीछे का इतिहास जानते हैं

राजीव गांधी एक रैली में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के एक स्थान श्रीपेरंबदूर गए. उनके सामने एक महिला आई जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम  (LTTE) के एक आतंकवादी समूह की सदस्य थी. उसके कपड़ों के नीचे विस्फोटक थे और उसने पीएम से संपर्क किया और कहा कि वह उनके पैर छूना चाहती है. अचानक बम विस्फोट हुआ जिसने पीएम की हत्या कर दी और लगभग 25 लोग मारे गए. यह अंतर्देशीय आतंकवाद है जिसने भय पैदा किया और हमारे देश को नुकसान हुआ.

आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने के पीछे क्या उद्देश्य है?

- शांति और मानवता का संदेश फैलाना.

- आतंकवादी समूहों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना और कैसे वे आतंक को मारने की योजना बनाते हैं.

- लोगों के बीच एकता का बीजारोपण करके लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देना.

- साथ ही, युवाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे विभिन्न आतंकवादी समूहों में शामिल न हों.

- देश में आतंकवाद, हिंसा, लोगों, समाज और पूरे देश पर इसके खतरनाक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना.

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आतंकवाद विरोधी दिवस कैसे मनाया जाता है?

- आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में डिबेट या चर्चा आयोजित करके उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है.

- आतंकवाद और उसके बाद के दुष्प्रभावों को उजागर करने के लिए बड़े पैमाने पर शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

- केंद्र सरकार और राज्य सरकार आतंकवाद के प्रभावों के बारे में लोगों को सुनिश्चित करने के लिए रैलियां और परेड आयोजित करती है.

- दिवंगत प्रधानमंत्री को विशेष जुलूसों द्वारा सम्मान प्रदान करना और लोग राजीव गांधी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं. कई स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों में लोग सिर झुकाकर दो मिनट का मौन रखते हैं.

इस साल कोरोना महामारी के समय में MHA ने सलाह दी है कि प्रतिभागियों और आयोजकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और सार्वजनिक सभा से बचने के लिए 'Anti-Terrorism Pledge’ को अधिकारियों द्वारा अपने कमरों/कार्यालयों में पूरी तरह से लिया जा सकता है. यह भी सुझाव दिया गया है कि इस अवसर के महत्व और गंभीरता को देखते हुए, डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से आतंकवाद विरोधी संदेश के प्रचार के अभिनव तरीकों पर विचार किया जा सकता है.

हम प्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले को नहीं भूल सकते जो एक आतंकवादी हमला था. वहीं 26/11 मुंबई हमला भी भुलाया नहीं जा सकता है. इसलिए आतंकवाद विरोधी दिवस क्रोध व्यक्त करता है और मानवता के साथ एकजुटता दिखाता है. आतंकवाद आतंकवादियों के खूंखार कृत्यों द्वारा लोगों के बीच जान का नुकसान और लोगों में मौत का डर पैदा करने का एक कार्य है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मानव के अधिकारों पर हमला है. इसलिए, हमें एक साथ आना चाहिए और मोहब्बत, देखभाल इत्यादि को फैलाकर इसे खत्म करना चाहिए.

किसी ने सही कहा है “Terrorists have no religion. They only understand the language of devastation".

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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