गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाश उत्सव: आज ही के दिन 1604 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुआ था पहला प्रकाश

आज का दिन सिख समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास है क्योंकि आज ही के दिन सन् 1604 में  अमृतसर के हरमंदिर साहिब में पवित्र किताब गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना की गई थी। आइए विस्तार से इस पवित्र किताब के बारे में जानते हैं। 

Aug 27, 2020, 12:56 IST
416th Prakash Purab of Guru Granth Sahib
416th Prakash Purab of Guru Granth Sahib

हर धर्म की अपनी एक पवित्र किताब है जैसे हिन्दुओं में गीता, मुसलमानों में कुरान, इसाइयों में बाइबिल और सिखों में गुरु ग्रंथ साहिब। आज का दिन सिख समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास है क्योंकि आज ही के दिन सन् 1604 में  अमृतसर के हरमंदिर साहिब में पवित्र किताब गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना की गई थी। आइए विस्तार से इस पवित्र किताब के बारे में जानते हैं। 

गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से मशहूर सिख समुदाय की पवित्र किताब को आदिग्रन्थ कहते हैं। इस पवित्र किताब में आत्मा, परमात्मा का पूजा ज्ञान और गुरु का प्रकाश भरा हुआ है। सिख समुदाय के पांचवें गुरु  गुरु अर्जुन देव ने इस किताब को लिखा था। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पवित्र किताब में केवल सिख गुरुओं के उपदेश नहीं हैं बल्कि दूसरे धर्मों के लोगों की वाणी भी मौजूद है। इस किताब में  जयदेवजी और परमानंदजी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी के साथ-साथ  कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना की वाणी भी सम्मिलित है। इस पवित्र ग्रंथ में शेख फरीद के श्लोक भी शामिल हैं। 

गुरु ग्रंथ साहिब 

गुरु ग्रंथ साहिब का लेखन गुरुमुखी लिपि में हुआ है और इस किताब में कुल 1430 पृष्ठ हैं। इस किताब में सिखों के प्रथम पाँच गुरुओं के अतिरिक्त उनके नवें गुरु और 15 'भगतों' की बानियाँ आती हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा कोई संग्रह संभवत:  गुरु नानकदेव के समय से ही तैयार किया जाने लगा था। ग्रंथ की प्रथम पाँच रचनाएँ इस प्रकार हैं: (1) 'जपुनीसाणु' (जपुजी), (2) 'सोदरू' महला1, (3) 'सुणिबड़ा' महला1, (4) 'सो पुरखु', महला 4 तथा (5) सोहिला महला।

इस किताब में सिख समुदाय के लोगों की हर समस्या का समाधान मौजूद है। इस ग्रंथ में 12 वीं सदी से लेकर 17 वीं सदी तक भारत के हर कोने में रची गईं ईश्वरीय बानी लिखी गई हैं। 

गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरुवाणियाँ अधिकांश पंजाब प्रदेश में अवतरित हैं और इस कारण जन-साधारण उनकी भाषा को पंजाबी के सदृश अनुमान करता है, लेकिन ऐसा नहीं है। गुरु ग्रंथ साहिब जी की भाषा पंजाबी भाषा के मुकाबले हिंदी भाषा के अधिक नज़दीक है। गुरु ग्रन्थ साहिब की भाषा को 'सन्त भाषा' भी कहते हैं क्योंकि इसमें बुहत सी भाषाओं, बलियों और उपबोलियों का मिश्रण है जैसे  पंजाबी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली, संस्कृत और फारसी आदि। 

आज ही के दिन धूम-धाम से हुआ था पहला प्रकाश

सन् 1604 में आज ही के दिन गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश श्री हरमंदिर साहिब में हुआ। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार संगतों ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा द्वारा महान ग्रंथ के उपदेशों को पढ़ा गया। 

सिख समुदाय के दसवें और आखिरी गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के अनुसार, 'आज्ञा पई अकाल दी, तबे चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है गुरु मानयो ग्रंथ।' इसका मतलब है कि आज से ही गुरु ग्रंथ साहिब हमारे गुरु हैं और इसके अलावा सिख समुदाय के लोगों को किसी भी अन्य मानवीय गुरु के आगे सिर झुकाने की अनुमति नहीं है। 

Arfa Javaid
Arfa Javaid

Content Writer

Arfa Javaid is an academic content writer with 2+ years of experience in in the writing and editing industry. She is a Blogger, Youtuber and a published writer at YourQuote, Nojoto, UC News, NewsDog, and writers on competitive test preparation topics at jagranjosh.com

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