दिल्ली के कुल कितने एतिहासिक दरवाजें हैं, देखें लिस्ट

दिल्ली यानि शहरों का शहर, जो कि अपने आप में देशभर की विविधता और संस्कृति को समेटे हुए है। समय-समय पर इस शहर को बसाया गया और समय-समय पर इस शहर को उजाड़ा गया। इस दौरान दिल्ली में अलग-अलग किलों का निर्माण हुआ और यहां अलग-अलग दरवाजे भी बने। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में कुल कितने एतिहासिक दरवाजें मौजूद हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

Oct 18, 2023, 17:43 IST
दिल्ली के एतिहासिक दरवाजें
दिल्ली के एतिहासिक दरवाजें

दिल्ली को शहर का शहर कहा जाता है। यह एक ऐसा शहर है, जो कि सात बार बसा और सात बार उजड़ा। हर बार यही की अलग कहानी रही और कहानी पर कहानी जुड़ती रहीं। पुराने समय में यह भी कहा जाता था कि जो दिल्ली की सीट पर बैठेगा, वह ही पूरे हिंदुस्तान में राज करेगा।

यही वजह थी कि जो भी शासक दिल्ली आया, उसने यहां के किलों को भेदकर सेना को हराया और शहर को नए सिरे से बसाया। इस कड़ी में दिल्ली में अलग-अलग गेट भी बने। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में कुल कितने एतिहासिक गेट हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

 

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दिल्ली गेट

सबसे पहले हम दिल्ली गेट के बारे में जान लेते हैं, जो कि कभी शाहजहांनाबाद यानि कि पुरानी दिल्ली का मुख्य प्रवेश द्वार हुआ करता था। यह दरवाजा अरूण जेटली स्टेडियम के पास बना हुआ है, जो कि रिंग रोड के नजदीक है। इसके एक तरफ मेट्रो स्टेशन, तो दूसरी तरफ रिंग रोड है।

आपको बता दें कि दिल्ली में दो दिल्ली गेट हैं। दूसरा दिल्ली गेट नजफगढ़ इलाके में है, जिसका निर्माण मुगल साम्राज्य के प्रधानमंत्री नजफ खान ने 1770 में करवाया था। वर्तमान में इस गेट को वैद्य किशोरी लाल द्वार के नाम से जाना जाता है।

लाहौरी गेट

लाहौरी गेट ही लाल किले का मुख्य प्रवेश द्वार कहा जाता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह लाहौर की तरफ जाता था, इसलिए इसे यह नाम दिया गया। इस दरवाजे पर बाद में औरंगजेब द्वारा नया निर्माण किया गया था। 



अजमेरी गेट

यह दिल्ली के एतिहासिक दरवाजों में से एक है। इसका निर्माण 1639 में शाहजहां द्वारा करवाया गया था। इस दरवाजे के पास से एक रास्ता नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ, तो दूसरा रास्ता चावड़ी बाजार और सदर बाजार की तरफ निकलता है।

 

तुर्कमान गेट

तुर्कमान गेट दिल्ली के रामलीला मैदान के पास स्थित है, जिसका निर्माण 1650 ई. में किया गया था। इस दरवाजे के पीछे की तरफ पुरानी दिल्ली शहर बसा हुआ है, जबकि आगे की तरफ थोड़ा चलने पर नई दिल्ली का कनॉट प्लेस आ जाता है। साल 1976 में इस दरवाजे को आपातकाल के समय काफी नुकसान पहुंचा था। 

 

कोलकाता गेट

कोलकाता गेट का निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था। जब अंग्रेजों का दिल्ली में कब्जा हो गया था, तब वह कोलकाता से पंजाब को रेल के माध्यम से जोड़ना चाहते थे। यह लाइन मेरठ होकर जानी थी, लेकन अंग्रेज रेलवे लाइन को दिल्ली से लेकर नहीं जाना चाहते थे।

ऐसे में दिल्ली के बड़े व्यापारियों और बैंकरों ने ईस्ट इंडिया कंपनी में कई याचिकाएं डाली, जिसके बाद कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष चार्ल्स वुड ने मांग को स्वीकारा और 1 जनवरी 1867 की रात में कोलकाता से ट्रेन को दिल्ली होते हुए गुजारा गया। उसी समय पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की नींव पड़ी थी। 

 

अलाई दरवाजा

इस दरवाजे का निर्माण खिजली वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने किया था। इस दरवाजे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से किया गया था। 

 

कश्मीरी गेट

कश्मीरी गेट का इस्तेमाल कश्मीर की तरफ जाने के लिए किया जाता था। यही वजह दरवाजा है, जिससे ब्रिटिश सेना ने दिल्ली में प्रवेश किया था। इस दरवाजे पर कई तोप चलाई गई थीं, जिसके निशान आज भी दरवाजे पर देखे जा सकते हैं। 



इंडिया गेट

इंडिया गेट दिल्ली में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था, जिसका निर्माण 1921 से 1933 के बीच हुआ था। इस गेट का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और ब्रिटिश-अफगान युद्ध में शहीद हुए एंग्लो-इंडियन आर्मी के जवानों की याद में किया गया था। 

 

खूनी दरवाजा

खूनी दरवाजा दिल्ली गेट के पास स्थित है। इस दरवाजे का निर्माण तुगलक वंश के समय में हुआ था, जो कि फिरोजाबाद यानि कि फिरोज शाह किला में जाने का प्रवेश द्वार था। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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