भारत की 5 ऐसी रेलवे लाइन जो दुर्गम मार्गों पर बनी हैं

Jan 10, 2019, 18:59 IST

भारत में ऐसी भी जगह हैं जहां रेल को पहुचाने में बहुत टाइम, तकनीकों और काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन तकनीकी विकास के साथ-साथ रेलवे में भी विकास हो रहा है और दूर-दूर तक कई ऐसे दुर्गम स्थलों को भी रेलवे से जोड़ा जा रहा है ताकि आवागमन में दिक्कतें न हो. आइये इस लेख के माध्यम से ऐसे 5 रेलवे मार्गों के बारे में अध्ययन करते हैं जो दुर्गम स्थलों पर बनी है या बनने जा रही हैं.

Indian Rail tracks built on difficult Routes
Indian Rail tracks built on difficult Routes

जैसा की हम जानते हैं कि भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया के टॉप-5 नेटवर्क में से एक है और लाखों कर्मचारियों को नौकरी देने वाला सबसे बड़ा विभाग है. हमारे देश में पहली ट्रेन वर्ष 1853 में बोरिबंदर से ठाणे तक चलाई गई थी. जिसने 35 किलोमीटर की दूरी तय की थी. अब भारतीय रेल देश के कौने-कौने तक पहुंच रही है. भारत में ऐसी भी जगह हैं जहां रेल को पहुचाने में काफी टाइम, तकनीकों और काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन तकनीकी विकास के साथ-साथ रेलवे में भी विकास हो रहा है और दूर-दूर तक कई ऐसे दुर्गम स्थलों को भी रेलवे से जोड़ा जा रहा है ताकि आवागमन में दिक्कतें न हो. इस लेख के माध्यम से ऐसे रेलवे रूट के बारे में जानेंगे जहां रेल का पहुँचना काफी मुश्किल था परन्तु भारतीय रेलवे विभाग ने इसको कर दिखाया है.

भारत की 5 ऐसी रेलवे लाइन जो दुर्गम मार्गों पर बनी हैं

1. कोंकण रेलवे लाइन


Source: www.quora.com

कुल रेलवे स्टेशन – 59
कुल दूरी- 760 किलोमीटर
बड़े पुल- 179
छोटे पुल- 1819
कुल तीखे मोड़- 320
कुल सुरंगे – 92

कोंकण रेलवे भारतीय रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर है जो कि महाराष्ट्र के रोहा से शुरू होकर कर्नाटक के थोकुर तक जाती है. यह रेल लाइन एक सैंडविच की तरह है जिसके एक तरफ पश्चिमी घाट की खूबसूरत पहाड़ियां हैं तो दूसरी तरफ अरब सागर. कोंकण रेलवे देश की ऐसी रेलवे लाइन है जो पश्चिमी घाट में अरब सागर के समानांतर चलती है. अपने पूरे सफर के दौरान यह कई नदियों, पहाड़ों और अरब सागर को पार करते हुए गुजरती है. ये दुर्गम इलाके ही वो कारण थे जिन्होंने इस रेलवे लाइन के निर्माण को लगभग नामुमकिन सा बना दिया था. इस रेल रूट पर लगभग 2 हजार पुल और 92 सुरंगे बनाई गई हैं. एक जानकारी के मुताबिक इस लाइन का निर्माण 20वीं शताब्दी में पूरे किए गए सबसे मुश्किल कामों में से एक था. बरसात के मौसम में यह रेल लाइन का निर्माण करना बड़ी चुनौती थी क्योंकि देश के इस हिस्से में सबसे ज्यादा वर्षा होती है. समस्या सिर्फ मौसम की ही नहीं थी बल्कि 42 हजार जमीन मालिकों के साथ समझौते से भी जुड़ी हुई थी. 15 सितंबर 1990 के दिन कोंकण रेलवे के निर्माण को मंजूरी दे दी और रोहा में इसकी आधारशिला रखी गई.

हम आपको बता दें कि 5 साल की समयसीमा के लिए 30 हजार वर्करों को इस लाइन के निर्माण के लिए काम पर लगाया गया था. हालांकि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग 8 साल लग गए और 26 जनवरी 1998 को इसे शुरू कर दिया गया था. इस रेलवे लाइन के कारण मुंबई से गोवा और कोच्चि का सफर 10 से 12 घंटे तक कम हो गया. इस रेलवे लाइन की ख़ास बात यह है कि रेल एक सुरंग में घुसती है, निकलने के बाद दूसरे सुरंग में घुस जाती है. पहाड़ों को काटकर कोंकण रेल के लिए रास्ते बनाए गए हैं. एक तरफ ऊंचे पहाड़ तो दूसरी तरफ गहरी खाई है. कोंकण रेल गोवा का बड़ा इलाका तय करते हुए आगे बढ़ती है. रास्ते में काफी दूर तक एक तरफ गोवा का समंदर दिखाई देता है जो इससे करने वाले सफर को अदभुत बना देता है. देश के पश्चिमी तट पर 760 किलोमीटर का सफर कराती है कोंकण रेल. गोवा में कोंकण रेल 105 किलोमीटर का सफर करती है जिसमें जुआरी नदी पर बना पुल अद्भुत है.

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2. जम्मू-कटरा रेलवे लाइन

Source: www.ip218.ip-66-70-193.net.com

कटरा रेलवे स्टेशन ऊँचाई- 813.707 मीटर (2,670 फीट)
लाइनें- जम्मू-बारामूला लाइन
प्लेटफार्म- 3

इस रेल लाइन के खुलने से माता वैष्णोा देवी के दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं को कटरा तक जाने में काफी सहूलियत हो गई है. कटरा तक जाने वाला यह रेल नेटवर्क एशिया की तीसरी सबसे बड़ी पीर पंजाल सुरंग के तहत आता है. सुरंगों और पहाड़ों के इस 80 किलोमीटर के रोमांचक सफर के दौरान कई पुल हैं. छोटे-बड़े करीब पचास पुलों से गुजरती ट्रेन 10.9 किमी. का सफर सुरंगों से भी तय करती है. उधमपुर-कटरा सेक्शेन पर 85 मीटर का ऊंचा पुल झज्जर नदी पर बना है जिसकी ऊंचाई कुतुबमीनार से भी ज्यादा है और 3.15 किलोमीटर की सबसे लंबी सुरंग है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि उधमपुर-कटरा रेल मार्ग इंजीनियरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती था क्योंहकि इस प्रोजेक्टन के दौरान कई घुमावदार रास्तेे और पहाड़ थे. उन्हेंस काटकर यहां पर रेल नेटवर्क बिछाना इंजीनियरों के लिए मुसीबत का काम था लेकिन उन्हों ने इस नामुमकिन प्रोजेक्ट को कर दिखाया.

नोट: यहीं आपको बता दें कि उधमपुर-कटड़ा रूट 326 किमी लंबे जम्मूह-उधमपुर-कटरा-बनिहाल-श्रीनगर-बारामूला लाइन का हिस्साि है, जो कश्मीर को पूरे देश से जोड़ेगा. यह आजादी के बाद पहाड़ी इलाकों में भारत का सबसे बड़ा रेलवे प्रोजेक्ट  है.

3. रामेश्वरम रेल मार्ग


Source: www.orangesmile.com

पंबन ब्रिज की कुल लंबाई- 6,776 फीट (2,065 मीटर)
ट्रैक गेज- ब्रॉड गेज
निर्माण शुरू- 1911 से
निर्माण कार्य खत्म- 1914

यह पुल 2,065 मीटर लंबा समुद्र पर बना है और दक्षिण भारतीय महानगर चेन्नई को रामेश्वरम से जोड़ता है. इसे पामबन ब्रिज या रामेश्वरम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है. इसको 1914 में बनाया गया था. तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है और भारत के मुख्य भूमि पर रामेश्वरम द्वीप को जोड़ता है. पामबन पुल का निर्माण ब्रिटिश रेलवे द्वारा 1885 में शुरू किया गया था और 1914 में इसके निर्माण का कार्य पूरा हुआ था. इस पुल को निर्माण करने में काफी मुसीबतें आई थी. इस पुल की खासियत है कि यह बीच में से खुलता भी है. यह पुल कंक्रीट से बना है और लगभग 145 खंबों पर टिका हुआ है.

क्या आप जानते हैं कि यह पुल देश का सबसे बड़ा समुद्र पुल हुआ करता था, जिसकी लंबाई 2.3 किलोमीटर है लेकिन अब मुंबई बांद्रा कुर्ला पुल सबसे बड़ा है. यह पुल तमिलनाडु में बना है और रामेश्वरम से पामबन द्वीप को जोड़ता है. जो लोग रामेश्वरम जाते हैं उन्हें इस पुल से गुजरना होता है.

नोट: भारत का सबसे पहला हाईटेक मूविंग ब्रिज रामेश्वरम पुल के समानांतर बनेगा. इसके निर्माण में यूरोप की तकनीक का उपयोग किया जाएगा. इस नए ब्रिज को पुराने ब्रिज से तीन मीटर ज्यादा उंचा बनाया जाएगा. इसकी खासियत होगी की इस ब्रिज का 63 मीटर का बीच का हिस्सा लिफ्ट से जुड़ा होगा, जिसे मालवाहक जहाजों के आने पर ऊपर किया जा सकेगा. ऐसा भारत में पहली बार होगा, जब पुल में बीच का हिस्सा लिफ्ट की तरह सीधा ऊपर-निचे होगा. रामेश्वरम को भारत के मेनलैंड से जोड़ने वाला पम्बन सेतु ‘वर्टिकल लिफ्ट स्पैन टेक्नोलॉजी’पर बनाया जाएगा. इस ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जायेंगीं जो भारत में पहली बार होगा.

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4. मणिपुर रेलवे लाइन


Source: www. mynews36.com

परियोजना - पूर्वोत्तर के 7-सिस्टर राज्यों को जोड़ेगी
सुरंग- लगभग 45
पुल की उंचाई- 141 मीटर
निर्माण कार्य पूरा होगा- 2020 तक

नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) के अनुसार दुनिया का सबसे ऊंचा पुल मणिपुर में बनाया जा रहा है. यह पुल 141 मीटर ऊंचा होगा, जो यूरोप के मोंटेनेग्रो में बने 139 मीटर ऊंचे Mala-Rijeka viaduct पुल को पीछे छोड़ देगा. इस ब्रिज में लगभग 45 सुरंगे होंगी. यह ब्रिज मणिपुर में 111 किलोमीटर लंबे जिरीबाम-तुपुल-इंफाल के बीच बिछाई जा रही नई ब्राड गेज लाइन के तहत बनाया जा रहा है. इन 45 सुरगों में से 12 नंबर सुरंग की सबसे लंबी (10.80 किलोमीटर) होगी. कहा जा रहा है कि यह पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे लंबी रेल सुरंग होगी. इन लंबे खभों के निर्माण के लिए ‘स्लिप फार्म’ तकनीक अपनाई जा रही है और स्टील गर्डर की वर्कशॉप में इसको बनाया जा रहा है.  

यह रेलवे नेटवर्क पूर्वोत्तर के 7-सिस्टर राज्यों को जोड़ेगा. साथ ही बिहार से किशनगंज के रास्ते एनजेपी के समीप से पांच राज्यों मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम व नगालैंड तक आवागमन में आसानी हो जाएगी. पुल के बन जाने पर इन इलाकों से होकर रेल के जरिए सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चीन की सीमा सहित म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं तक पहुंचने की सुविधा हो जाएगी. यह हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य के रूप में स्वीकार किया गया है. लेकिन, हिमालयी श्रेणियों में दुनिया के सबसे ऊंचे गर्डर रेलवे पुल का निर्माण करने में सक्षम होना वास्तव में एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी.

5. दिल्ली- लद्दाख रेलवे लाइन


Source: www.travelandtourworld.com

सुरंगे- 74
बड़े पुल- 74
छोटे पुल- 396
स्टेशन- 36
रेलवे लाइन की उंचाई- 5,360 मीटर

क्या आप जानते हैं कि इंडियन रेलवे नई दिल्ली और लद्दाख को सबसे उंची रेलवे लाइन से जोड़ने की योजना बना रहा है. यह भारत-चीन सीमा के पास से होकर गुजरेगी. यह बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन है. इस रेलवे लाइन की उंचाई समुद्र तल से 5,360 मीटर तक होगी. यह लाइन लगभग 465 किलोमीटर लंबी होगी. इस लाइन पर 74 सुरंगे, 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुल बनाए जाएंगे. साथ ही इसमें 30 स्टेशन होंगे.

इसकी सबसे खास बात यह होगी कि इस लाइन पर 3,000 मीटर की उंचाई पर सुरंग के भीतर रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा. आधे से ज्यादा रास्ता सुरंग में ही होगा और सबसे लम्बी सुरंग 27 किलोमीटर की होगी. इस रूट के जरिए बिलासपुर और लेह के बीच महत्वपूर्ण जगहें जैसे सुंदरनगर, मंडी, मनाली, कीलॉन्ग, कोकसार, कारू, डार्चा और उपशी जैसे शहर शामिल हैं. इस रेलवे लाइन के बनने से दिल्ली से लेह 20 घंटों में पहुंचा जा सकेगा . हलाकि इसको बनाने में भी काफी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा और तकरीबन बर्फ में इसको बनाना अपने में एक उपलब्धि से कम नहीं है.  

तो अब आप ऐसे 5 रेल मार्गों के बारे में जान गए होंगे जो भारत में ऐसी जगहों को जोड़ रही है जहां सिर्फ कल्पना की जा सकती थी और अब वहां भी रेल लाइन बिछाई जा रही है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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