25th Anniversary of Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता है. इस साल देश इस विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, जिसके उपलक्ष्य में देश में कई तरह के आयोजन किये जा रहे है. यह दिवस भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. भारतीय सेना ने साल 1999 में जम्मू और कश्मीर के कारगिल सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों कब्जा किये गए महत्वपूर्ण क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया था.
कारगिल में होंगे पीएम मोदी:
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीएम मोदी कारगिल में आयोजित होने वाले कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम के लिए कारगिल पहुंच रहे है. लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बी डी मिश्रा ने रविवार को सचिवालय में एक बैठक की और द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर पीएम की यात्रा की तैयारियों की समीक्षा की. इससे पहले 2022 में, पीएम मोदी ने कारगिल में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी और कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी और 1999 में यहां अपनी जान गंवाने वाले सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी थी.
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कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ:
कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ इस साल 26 जुलाई को पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी. साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था. दोनों देशों ने साल 1998 में अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण भी किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों के बीच तनाव और बढ़ गया, जिसके बाद शांति और स्थिरता बनाए रखने और तनाव को कम करने के लिए फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किया गया लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने कश्मीर और लद्दाख के बीच संबंध को तोड़ने और अशांति पैदा करने के लिए, जम्मू और कश्मीर के उत्तरी कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की जिसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पाक सेना को धुल चटाते हुए इस क्षेत्र पर फिर से अपना कब्जा वापस से हासिल किया.
कारगिल युद्ध में कब क्या हुआ था?
यहाँ 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान हुई मुख्य घटनाओं का कालक्रमिक उल्लेख किया गया है जिसे आप देख सकते है-
तारीख | घटनाक्रम |
मई 1999 | |
3 मई | चरवाहों ने बंजू मुख्यालय पर घुसपैठियों की सूचना दी, 70 इन्फैंट्री ब्रिगेड पहुंची. |
5 मई | कप्तान सौरभ कालिया गश्ती दल भेजा गया; युद्ध शुरू हुआ. |
6 मई | एनएच 1ए ट्रैफिक के लिए खोला गया. |
16 मई | 56 माउंटेन ब्रिगेड ने द्रास-मुष्कोह सेक्टर का अधिग्रहण किया. |
18 मई | पॉइंट 4295 और 4460 पर कब्जा. |
21 मई | 8 सिख ने टाइगर हिल की घेराबंदी शुरू की. |
23 मई | थल सेनाध्यक्ष (COAS) ने कारगिल सेक्टर का दौरा किया; ऑपरेशन की प्राथमिकताएँ तय कीं. |
24 मई | 79 माउंटेन ब्रिगेड ने मुष्कोह सब-सेक्टर का अधिग्रहण किया. |
26 मई | 15 कोर की सहायता में भारतीय वायुसेना ने हवाई संचालन शुरू किया. |
जून 1999 | |
1 जून | मुख्यालय 8 माउंटेन डिवीजन ने अधिग्रहण पूरा किया; सैन्य निर्माण शुरू हुआ. |
3 जून | 8 डिवीजन ने थासगाम के पश्चिम में जिम्मेदारी संभाली. |
12 जून | 50 (I) पैराशूट ब्रिगेड पहुँची; वार्ता में गतिरोध; गुमरी में तैनाती. |
13 जून | 56 ब्रिगेड ने तोलोलिंग और पॉइंट 4590 पर कब्जा किया. |
14 जून | भारतीय सेना ने 'हंप' पर कब्जा किया. |
15 जून | अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पीएम नवाज शरीफ से वापसी का आग्रह किया. |
20 जून | 56 ब्रिगेड ने पॉइंट 5140 पर कब्जा किया. |
23 जून | जनरल जिनी ने पाकिस्तान का दौरा किया; जी-8 ने वापसी का आह्वान किया. |
26 जून | 192 माउंटेन ब्रिगेड द्रास में पहुंची. |
28 जून | 56 ब्रिगेड ने पॉइंट 4700 पर कब्जा किया. |
29 जून | 56 ब्रिगेड ने 'ब्लैक रॉक', 'थ्री पिंपल', और 'नोल' पर कब्जा किया. |
जुलाई 1999 | |
1 जुलाई | 70 ब्रिगेड ने पॉइंट 5000 पर कब्जा किया. |
3 जुलाई | 70 ब्रिगेड ने पॉइंट 5287 पर कब्जा किया; 8 सिख ने टाइगर हिल की घेराबंदी समाप्त की. |
4 जुलाई | 192 ब्रिगेड ने टाइगर हिल पर कब्जा किया; क्लिंटन ने शरीफ से भारत से बात करने का आग्रह किया. |
5 जुलाई | 79 ब्रिगेड ने पॉइंट 4875 कॉम्प्लेक्स पर कब्जा किया; मुष्कोह और द्रास दुश्मन से मुक्त. |
12-18 जुलाई | पाकिस्तानी सैनिकों की सुरक्षित वापसी के लिए युद्धविराम (बाद में युद्ध फिर शुरू हुआ). |
24 जुलाई | 192 ब्रिगेड ने ज़ूलू स्पर कॉम्प्लेक्स पर कब्जा किया. |
26 जुलाई | कारगिल युद्ध का आधिकारिक अंत. |
कारगिल युद्ध के जाबांजो के बारें में जानें:
यह दिवस हमारे वीर सैनिकों के असीम प्रेम और बलिदान को दर्शाता है. देश के बहादुर सैनिकों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी असाधारण वीरता का परिचय देते हुए देश के लिए शहीद हो गए, यहां हम ऐसे ही कुछ वीर सपूतों की बात करने जा रहे है-
कैप्टन विक्रम बत्रा (13 जेएके राइफल्स):
कारगिल युद्ध की जब भी चर्चा होगी तब कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम बहुत ही गर्व के साथ लिया जायेगा जिन्होंने चोटिल होने के बावजूद अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए पॉइंट 4875 कब्जा किया. इस दौरान उनका नारा 'ये दिल मांगे मोर!' खूब चर्चा में रहा था. उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (1/11 गोरखा राइफल्स)
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने भी कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनकी बहादुरी, वीरता और प्रेरणादायक नेतृत्व को मान्यता देते हुए उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया था.
राइफलमैन संजय कुमार (13 जेएके राइफल्स)
संजय कुमार ने पॉइंट 4875 पर कब्जा करने में अहम रोल अदा किया था, घायल होने के बावजूद भी वह वीरता से लड़ते रहे. उनके अदम्य साहस का सम्मान करते हुए परम वीर चक्र से नवाजा गया है.
सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता:
सूबेदार मेजर (मानद लेफ्टिनेंट) योगेंद्र सिंह यादव को, जिनकी उम्र केवल 19 वर्ष थी. उनकी वीरता का विशिष्ट कार्य 04 जुलाई 1999 को हुआ जब उन्होंने 18 ग्रेनेडियर्स के घातक कमांडो प्लाटून का स्वेच्छा से नेतृत्व किया, उन्हें टाइगर हिल पर तीन रणनीतिक बंकरों पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था.
15 गोलियां लगने के बावजूद वह अपने दल के साथ आगे बढ़ें और टाइगर हिल पर कब्जा जमाया. उनकी अद्वितीय वीरता के लिए देश के सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने अदम्य साहस से 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट को टाइगर हिल के महत्वपूर्ण हिस्सों पर कब्ज़ा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह इस सम्मान को प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के वीर हैं.
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