लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे हैं। वह अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। देश के प्रति समर्पण और सद्भाव उनकी अलग पहचान थे। शास्त्री ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और देश का मजबूत नेतृत्व प्रदान किया, विशेषकर 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी भूमिका को याद किया जाता है।
साथ ही, जय जवान, जय किसान उनका ही दिया हुआ नारा है। हर साल 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस के तौर मनाया जाता है। इस लेख में हम 10 लाइनों में उनके पूरे जीवन परिचय को जानेंगे।
-लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता, शारदा प्रसाद श्रीवास्तव, एक स्कूल शिक्षक थे और उनकी मां रामदुलारी देवी एक गृहिणी थीं।
-शास्त्री जब केवल डेढ़ वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी मां ने उन्हें कठिनाइयों में पाला।
-शास्त्री ने अपनी शुरुआती शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की। बाद में वह काशी विद्यापीठ स्नातक के लिए पहुंचे। यहां उन्हें "शास्त्री" की उपाधि दी गई।
-लाल बहादुर शास्त्री ने महात्मा गांधी के आह्वान से प्रेरित होकर 1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई।
-लाल बहादुर शास्त्री ने नमक सत्याग्रह (1930), भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया और कई बार जेल भी गए।
-जब भारत आजाद हुआ, तो शास्त्री को उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने प्रशासनिक सुधारों पर काम किया।
-साल 1951 में वह प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर केंद्र सरकार में आए और रेल मंत्री, गृह मंत्री और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
-भारत में जब एक रेल दुर्घटना में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, तो उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया।
-27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई, जिसके बाद 9 जून 1964 को शास्त्री को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।
-शास्त्री के नेतृत्व में भारत ने कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें 1965 का भारत-पाक युद्ध भी शामिल था। उन्होंने देश के सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया।
-11 जनवरी 1966 को ताशकंद, उज्बेकिस्तान (तत्कालीन सोवियत संघ) में लाल बहादुर शास्त्री का अचनाक निधन हो गया। उनकी मौत अभी तक सवालों के घेरे में है और इस पर अभी तक सवाल उठते रहते हैं।
-लाल बहादुर शास्त्री के बारे में कहा जाता है कि वह इतने सरल थे कि सरकारी गाड़ी की सेवा यदि परिवार लेता था, तो वह इसके लिए शुल्क भी अदा करते थे।
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