सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी नहीं, बल्कि इतनी भाषाओं के जानकार थे महात्मा गांधी, जानें

Oct 1, 2024, 23:33 IST

महात्मा गांधी का हर साल 2 अक्टूबर को जन्मदिवस होता है। वहीं, इस बार बापू का 155वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। बापू को राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि बापू को कितनी भाषाएं आती थीं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

महात्मा गांधी
महात्मा गांधी

हर साल महात्मा गांधी का 2 अक्टूबर को जन्मदिवस होता है। वहीं, इस बार बापू का 155वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। बापू को राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। महात्मा गांधी को कई भाषाओं का ज्ञान था, जो उनकी व्यापक शिक्षाओं और विविध जनसमूहों से संवाद करने की क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि बापू को कितनी भाषाएं आती थीं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

 

महात्मा गांधी का परिचय 

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वह लंदन से कानून की पढ़ाई करके बैरिस्टर बने। हालांकि, उन्होंने अपना योगदान भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में दिया। गांधी जी ने सत्याग्रह, अहिंसा और असहयोग आंदोलन जैसे साधनों का उपयोग कर ब्रिटिश शासन का विरोध किया।

उन्हें हम "राष्ट्रपिता" के रूप में भी जानते हैं। 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी प्रेरणादायक बने हुए हैं।

महात्मा गांधी को आने वाली भाषाएं 

उन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित भाषाएं आती थीं:

गुजराती: महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। ऐसे में गुजराती भाषा उनकी मातृभाषा थी।

हिंदी: भारत की प्रमुख भाषा होने के कारण गांधीजी इसे अच्छी तरह जानते और बोलते थे। वह अमूमन सभी लोगों के बीच इस भाषा के साथ संवाद किया करते थे। 

अंग्रेजी: महात्मा गांधी ने अपनी पढ़ाई लंदन में की थी, ऐसे में वह अंग्रेजी भाषा में भी दक्ष थे। वह अक्सर अपने लेखन और संवाद में अंग्रेजी भाषा का व्यापक रूप से उपयोग करते थे। साथ ही, ब्रिटिश अधिकारियों के साथ भी वह पूर्णतः अंग्रेजी में ही संवाद करते थे।

संस्कृत: गांधीजी को संस्कृत का भी ज्ञान था, जो उन्हें भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथों के अध्ययन में मदद करता था।

उर्दू: गांधीजी उर्दू भी समझते और बोलते थे, क्योंकि यह भाषा भारत के कई हिस्सों में बोली जाती थी। ऐसे में वह उर्दू भाषा का इस्तेमाल भी अपने संवाद में किया करते थे। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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