दुनिया में प्रकृति का अपना महत्व है, जो कि खूबसूरत होने के साथ-साथ विविधताओं से भरी हुई है। प्रकृति की गोद में आपको झील, झरने और नदियां देखने को मिल जाएंगी, जिनकी खूबसूरती एक अलग अहसास कराती है। वहीं, पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में भी इनका अधिक योगदान है। साथ ही इनके आसपास जैव विविधता मिल जाएगी, जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु होते हैं। भारत में कई नदियां झीलों से निकलती है। वहीं, इन झीलों के निर्माण की भी अलग-अलग कहानी सुनने को मिलती है। इन्हीं में एक झील ऐसी है भी जिसे वैज्ञानिक शोधों में पता लगाया गया है कि वह 52,000 साल पुरानी है। खास बात यह है कि दुनिया में कुछ झीलों का निर्माण उल्का पींड के गिरने से हुआ था, जिनमें से एक झील भारत में भी मौजूद है, जिसे देखने के लिए देश- विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं। कहां है झील और क्या है इसके पीछे की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उल्का पिंड से हुआ था इन झीलों का निर्माण
कुछ वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि हजारों साल पहले दुनिया में ज्वालामुखी चट्टानों से उल्का के टकराव से महज चार झीलों का निर्माण हुआ था। इनमें तीन झीलें दक्षिण ब्राजिल में मौजूद हैं, जिसे देखने के लिए सैलानी पहुंचते हैं। वहीं, एक झील भारत में भी मौजूद है।
भारत में कहां मौजूद है यह झील
करीब 52,000 साल पहले भारत के महाराष्ट्र के बुलढाणा में उल्का पिंड टकराया था, जिससे लोणार झील का निर्माण हुआ था। आपको यह भी बता दें कि यह झील भारत में खारे पानी की पांच सबसे बड़ी झीलों में से एक है। इस झील का डायमीटर(व्यास) 1.2 किलोमीटर का है, जबकि इसके रिम से यह 137 मीटर नीचे तक है। यह झील डक्कन के पठार पर बनी हुई है, जिसकी उत्पत्ति 65 मिलियन साल पहले बताई जाती है।
Ramsar Site का मिला है दर्जा
साल 2019 में आईआईटी बांबे की एक टीम ने यहां पर शोध कर पाया था कि झील में मिलने वाले कुछ खनिज चांद की सतह पर मिलने वाले खनिज की तरह हैं। वहीं, इस झील की महत्ता को देखते हुए इसे साल 2020 में रामसर साइट में शामिल कर दिया गया है। आपको बता दें कि विश्व भर में आद्रभूमि के संरक्षण के लिए World Wetland day मनाया जाता है, जिसके तहत आद्रभूमियों का संरक्षण किया जाता है। इसके तहत भारत में कुल 75 साइट को रामसर साइट का दर्जा प्राप्त है। सबसे अधिक तमिलनाडू में 14 और इसके बाद उत्तरप्रदेश में 10 रामसर साइट हैं।
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