डेबिट कार्ड को एटीएम कार्ड के नाम से भी जाना जाता है और इसका उपयोग ऑनलाइन शॉपिंग व ऑनलाइन बिल भुगतान आदि के लिए किया जाता है। बिना बैंक पहुंचे हम डेबिट कार्ड की मदद से एटीएम मशीन से पैसे निकाल सकते हैं।
आइए एक उदाहरण की मदद से समझें, एक पल के लिए अपने डेबिट-कम-एटीएम को सिम कार्ड के रूप में मान लिजिए। यदि सिम कार्ड में पर्याप्त बैलेंस नहीं होगा, तो कॉल करना संभव नहीं होगा। ऐसा ही हमारे डेबिट या एटीएम कार्ड के साथ भी है।
यदि बैंक खाते में कोई बैलेंस नहीं है, तो हम डेबिट कार्ड के जरिए कोई भी रकम नहीं निकाल सकते हैं। टेक्नोलॉजी के विकास के कारण हमें यह फायदा हुआ है कि अब हमें नकदी निकालने के लिए बैंकों में जाने की जरूरत नहीं है।
अब हम डेबिट कार्ड का उपयोग करके एटीएम मशीनों के माध्यम से नकदी प्राप्त कर सकते हैं। हम कह सकते हैं कि डेबिट कार्ड का मतलब ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन है, जिसके द्वारा आप किसी भी प्रकार का ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं।
आजकल हर बैंक खाताधारक के पास डेबिट (एटीएम) कार्ड होता है। दरअसल, लोग इनका उपयोग तो आसानी से कर लेते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इन कार्डों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है।
कई लोगों को यह नहीं पता होता है कि उनके डेबिट कार्ड पर दिए गए अंकों से बैंक खाते की जानकारी आसानी से हासिल की जा सकती है। लोगों को सिर्फ इतना पता होता है कि डेबिट कार्ड के दोनों तरफ कुछ नंबर लिखे होते हैं।
क्या आप जानते हैं कि ये अंक या नंबर न सिर्फ आपके बैंक खाते की जानकारी दर्शाते हैं, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ये शॉपिंग और ऑनलाइन बैंकिंग के समय होने वाली धोखाधड़ी रोकने में बहुत मददगार हैं।
इसके अलावा अगर किसी प्रकार की लापरवाही के कारण ये विवरण लीक हो जाते हैं, तो इससे धोखाधड़ी हो सकती है।
डेबिट कार्ड पर लिखे 16 अंकों का क्या मतलब होता है
डेबिट कार्ड के सामने वाले हिस्से पर 16 अंकों का एक कोड लिखा होता है। पहले 6 अंक बैंक पहचान संख्या होती हैं और बाकी 10 अंक कार्ड धारक की विशिष्ट खाता संख्या होती है।
यहां तक कि डेबिट कार्ड पर छपा ग्लोबल होलोग्राम भी एक प्रकार का सुरक्षा होलोग्राम होता है, जिसे कॉपी करना बहुत मुश्किल होता है, जो कि 3डी होता है।
डेबिट कार्ड पर समाप्ति की तारीख और वर्ष भी लिखा होता है, ताकि कार्ड धारक को याद रहे कि इस तारीख के बाद डेबिट कार्ड काम नहीं करेगा।
डेबिट कार्ड पर पहले अंक का मतलब
पहला नंबर उस उद्योग को दर्शाता है जिसने कार्ड जारी किया है। इसे प्रमुख उद्योग पहचानकर्ता (MII) के रूप में जाना जाता है, जैसे बैंक व पेट्रोलियम आदि। यह अलग-अलग उद्योगों के लिए अलग-अलग है।
एमआईआई कोड जारी करने वाले उद्योग हैं
-आईएसओ और अन्य उद्योग
-एयरलाइंस
-एयरलाइंस और अन्य उद्योग
-यात्रा और मनोरंजन (अमेरिकन एक्सप्रेस या फूड क्लब)
-बैंकिंग और वित्त (वीज़ा)
-बैंकिंग और वित्त (मास्टर कार्ड)
-बैंकिंग और मर्चेंडाइजिंग
-पेट्रोलियम
-दूरसंचार और अन्य उद्योग
-राष्ट्रीय असाइनमेंट
पहले 6 अंकों का क्या मतलब है
डेबिट कार्ड के पहले 6 अंक उस कंपनी के बारे में बताते हैं, जिसने कार्ड जारी किया है। इसे जारीकर्ता पहचान संख्या (IIN) के रूप में जाना जाता है।
-कंपनी का आई.आई.एन
-मास्टर कार्ड = 5XXXXX
-वीज़ा = 4XXXXX
अंतिम अंक को छोड़कर अगली 9 संख्याएं
7 से 15 तक आखिरी अंक को छोड़कर सभी अंक आपके बैंक खाते से जुड़ी होती हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि ये नंबर आपके और आपके बैंक खाते के बारे में कुछ भी नहीं बताते हैं।
डेबिट कार्ड पर अंतिम अंक का क्या अर्थ है
डेबिट कार्ड के अंतिम नंबर को चेक डिजिट के नाम से जाना जाता है। इस अंक से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्ड वैध है या नहीं।
डेबिट कार्ड के पीछे के अंक
ऑनलाइन शॉपिंग के समय CVV नंबर की जरूरत पड़ती है, ताकि ट्रांजैक्शन ठीक से पूरा हो सके। सीवीवी तीन अंकों की संख्या है, जो कार्ड के पीछे दी गई है। यह आम तौर पर हस्ताक्षर पट्टी के पास मौजूद होती है और इसे इटैलिक में हाइलाइट किया जाता है।
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