National Space Day 2024: चंद्रयान-3 मिशन की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारत में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जा रहा है. यह भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धियों में से एक है. चंद्रयान-3 मिशन के साथ गया प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के सतह पर भ्रमण कर कई महत्वपूर्ण खोज के साथ कई अहम डेटा भेजे थे. बता दें कि 23 अगस्त 2023 को, भारत ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके चौथा देश बनने का गौरव हासिल किया था.
यहां हम चंद्रयान-3 मिशन की प्रमुख वैज्ञानिक खोजों के बारें में बताने जा रहे है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के रहस्य से पर्दा उठाया था. मिशन का प्रज्ञान रोवर, विक्रम लैंडर से बाहर निकलकर कई चंद्रमा की सतह पर कई वैज्ञानिक खोजों को अंजाम दिया था.
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31 घंटे तक प्रज्ञान रोवर ने की खोज:
इसरो के अनुसार, 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार 18:04 बजे विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग की थी. इसके बाद प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर 103 मीटर की यात्रा की और आसपास के क्षेत्र में वैज्ञानिक खोजों को अंजाम दिया.
संतोष वडावले की टीम ने किया काम:
चंद्रयान-3 मिशन के तहत खोज के पीछे भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम है, जिसका नेतृत्व अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के संतोष वडावले कर रहे थे. APXS उपकरण को PRL ने SAC अहमदाबाद और URSC बेंगलुरु के समर्थन से डिज़ाइन और विकसित किया था.
प्रज्ञान रोवर को चांद पर क्या मिला:
प्रज्ञान रोवर की बात करें तो रोवर ने अपने मून वाक के दौरान 23 वैज्ञानिक अवलोकन किये, इसके तहत रोवर में लगे अल्फ़ा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) ने प्रत्येक स्थान पर एक्स-रे स्पेक्ट्रम प्राप्त किया जिसका मिशन समय 20 मिनट से 3 घंटे तक रहा था.
APXS की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक प्राचीन मैग्मा महासागर के सबूत भी देखे गए है जो रोवर की एक बड़ी खोज मानी जा रही है.
प्रज्ञान रोवर ने अपने लैंडिंग जोन के आस-पास रेगोलिथ (चंद्रमा की मिट्टी) में एक समान तत्वीय संरचना का पता लगाया है जो फेरोअन एनोर्थोसाइट नामक चट्टान से बनी है. प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा पर प्राचीन मैग्मा महासागर के सिद्धांत को भी बल दिया है.
बता दें कि ये डेटा प्रज्ञान रोवर के अल्फा पार्टिकुलर एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) द्वारा एकत्र किया गया था, जो कि इस मिशन के महत्वपूर्ण पेलोड में से एक है.
चंद्रमा के मैग्मा महासागर (LMO) सिद्धांत के अनुसार, चंद्रमा के निर्माण के समय वह पूरी तरह से मैग्मा का महासागर था. जैसे-जैसे यह मैग्मा ठंडा हुआ, भारी खनिज जैसे ओलिवाइन और पाइरॉक्सीन नीचे की परतों में चले गए, जबकि हल्के खनिज (प्लाजियोक्लेज) ने बाहरी परत का निर्माण किया.
National Space Day Theme राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024
इस वर्ष के उत्सव का विषय चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा है (Touching Lives while Touching the Moon: India’s Space Saga), जो समाज और प्रौद्योगिकी पर अंतरिक्ष अन्वेषण के गहरे प्रभाव पर जोर देती है.
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