Khel Divas 2024: हर साल 29 अगस्त को हम राष्ट्रीय खेल के दिवस के रूप में मनाते हैं। दरअसल, यह हॉकी के जादूगर भारतीय खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद के जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि मेजर ध्यानचंद की ओलंपिक में मेडल दिलाने की कहानी क्या है ? हॉकी में कैसे शुरू हुआ था उनका सफर, इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
16 साल की उम्र में ज्वाइन कर ली थी सेना
मेजर ध्यान चंद ने 16 साल की उम्र में ही सेना को ज्वाइन कर लिया था। उन्होंने सेना में बतौर सिपाही अपना करियर शुरू किया था। साथ ही, उन्होंने हॉकी खेलना भी शुरू किया।
नाम में ऐसा जुड़ा चंद
मेजर ध्यान चंद को पहले ध्यान सिंह के नाम से जाना जाता था। वह अक्सर चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे, जिससे उनके नाम में चांद शब्द जुड़ गया और बाद में यह चंद हो गया। उन्होंने 1922 से लेकर 1926 तक सेना की रेजिमेंट में खेलते हुए सभी को आकर्षित किया। उनके प्रदर्शन को देखते हुए न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुना गया, जहां उनकी टीम ने 18 मैच जीते और 2 मैच ड्रॉ हो गए।
ठुकराया हिटलर का ऑफर
मेजर ध्यान चंद ने हॉकी के ओलंपिक मैच में जर्मनी की टीम को 6-1 से शिकस्त दी। इस मैच को हिटलर भी देख रहे थे। हालांकि, उनसे जर्मनी की हार बर्दाश्त नहीं हुई और वह मैच को बीच में ही छोड़कर चले गए थे।
बाद में वह मेजर ध्यान चंद से मिले और उनसे उनका पूरा परिचय पूछा, जब जवाब में हिटलर को पता चला कि ध्यान चंद भारतीय सेना का हिस्सा हैं, तो हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना का हिस्सा बनने का ऑफर दिया, लेकिन ध्यान चंद ने यह ऑफर ठुकरा दिया।
तीन ओलंपिक में जीते गोल्ड मेडल
मेजर ध्यान चंद ने तीन ओलंपिक मैचों में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। उन्होंने 1928,1932 और 1936 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीते थे। हॉकी में उनके समर्पण और कौशल के लिए उन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है। आज देशभर में कई खेलों के मैदान ध्यान चंद के नाम पर हैं।
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