तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद, भारत के फार्मा हब के रूप में मशहूर है। यह शहर दवा निर्माण, बायोटेक इनोवेशन और वैक्सीन उत्पादन का एक वैश्विक केंद्र है। यहां विश्व स्तरीय सुविधाएं, कुशल पेशेवर और बड़ी फार्मा कंपनियां हैं। इनकी मदद से हैदराबाद, दुनिया भर में दवाओं और जीवन विज्ञान उत्पादों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में भारत के विकास को गति देता है।
हैदराबाद को भारत का फार्मा हब क्यों कहा जाता है?
हैदराबाद को फार्मा हब इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां एशिया की सबसे ज्यादा फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी कंपनियों का समूह है। शहर की औद्योगिक ताकत, आधुनिक R&D इकोसिस्टम और वैश्विक सहयोग ने इसे भारत में दवा निर्माण और निर्यात का केंद्र बना दिया है। जीनोम वैली और हैदराबाद फार्मा सिटी जैसे प्रोजेक्ट्स ने दवा अनुसंधान, इनोवेशन और बड़े पैमाने पर उत्पादन के वैश्विक केंद्र के रूप में इसकी पहचान को और मजबूत किया है।
हैदराबाद के फार्मा उद्योग के बारे में कुछ खास बातें
-हैदराबाद में कई बड़ी कंपनियां हैं। ये कंपनियां API और जेनेरिक दवाएं बनाती हैं, जो दुनिया भर में भेजी जाती हैं।
-यह शहर भारत के 35% से ज्यादा बल्क ड्रग्स और फॉर्मूलेशन का उत्पादन करता है। इसी वजह से इसे "भारत की बल्क ड्रग राजधानी" का खिताब मिला है।
-भारत से अमेरिका, यूरोप और विकासशील देशों में होने वाले दवा निर्यात में हैदराबाद का एक बड़ा हिस्सा है।
-भारत के पहले बायोटेक पार्क, जीनोम वैली में 200 से ज्यादा रिसर्च और जीवन विज्ञान कंपनियां हैं। ये कंपनियां वैक्सीन और दवा इनोवेशन पर ध्यान देती हैं।
-यह दुनिया का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड फार्मा क्लस्टर बनने वाला है। यहां मैन्युफैक्चरिंग और R&D के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।
दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और हैदराबाद इसकी मुख्य ताकत है। भारत के लगभग 40% बल्क ड्रग्स और API हैदराबाद की फार्मास्युटिकल यूनिट्स से आते हैं। शहर का बड़ा उत्पादन, गुणवत्ता मानक और लागत में कमी इसे "दुनिया की बल्क ड्रग राजधानी" बनाते हैं। हैदराबाद का फार्मा निर्यात दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए जीवन बचाने वाली दवाओं को सस्ता बनाने में मदद करता है। यह "दुनिया की फार्मेसी" के रूप में भारत की साख को मजबूत करता है।
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