भारत के किस गांव को कहा जाता है ‘रसोइयों का गांव’, जानें

Aug 28, 2023, 12:23 IST

भारत में आपने अलग-अलग गांवों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हर गांव की अपनी विशेषता है। यह भी कहा जाता है कि असली भारत की पहचान गांवों से ही होती है। इन्हीं सब गांवों के बीच एक ऐसा गांव भी है, जिसे रसोइयों का गांव भी कहा जाता है। क्या आपको पता है कि भारत में किस जगह पर है यह गांव और क्या है गांव के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

रसोइयों का गांव
रसोइयों का गांव

भारत अपनी विविधताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां की अनूठी पंरपराएं, मान्यताएं, रीति-रिवाज और संस्कृति इसे अन्य देशों से अलग बनाती है। इसके अलावा यहां के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में भी अलग-अलग विशेषताएं हैं, जो कि भारत को वैश्विक पटल पर पहचान दिलाने में मदद करती हैं।

इन्हीं सब चीजों में शामिल है भारतीय खाना, जिसका स्वाद विश्व प्रसिद्ध है। भारत के अलग-अलग गांवों में एक गांव ऐसा भी है, जो कि अपने यहां के स्वादिष्ट खाने के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव को रसोइयों का गांव भी कहा जाता है।

क्या आपको पता है कि भारत के किस गांव को इस नाम से जाना जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।  



भारत के अलग-अलग गांवों की अपनी पहचान

भारत में वर्तमान में 7 लाख से अधिक गांव हैं और हर गांव की अपनी पहचान है। उदाहरण के तौर पर एक गांव ऐसा है, जहां पर वर्षा कराने के लिए मेंढकों की शादी की जाती है। वहीं, एक गांव एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा, तो एक गांव सबसे साफ गांव है। इन गांवों के अलावा एक गांव ऐसा भी है, जिसे रसोइयों का गांव कहा जाता है।

 

किस गांव को कहा जाता है ‘रसोइयों का गांव’

भारत में यदि आप दक्षिण भारत की सैर करेंगे, तो तमिलनाडू राज्य में कलायुर गांव में प्रवेश करते ही आपको मनमोहक मसालों की खूशूब अपनी ओर खींच लेगी। यहां पर बड़े-बड़े बर्तनों में बन रहे खाने में घी के साथ लगाए जा रहे झोंक से हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है।

साथ ही विशेष खाने के लिए तैयार की जा रही है तरी भी हर किसी की जुबां को भा जाती है। खास बात यह है कि यहां पर खाना महिलाएं नहीं, बल्कि गांव के पुरुष बनाते हैं। पुरुषों द्वारा बनाए गए इस खाने की मांग इतनी है कि कई दिनों पहले ही ऑर्डर मिलना शुरू हो जाते हैं। इस वजह से इस गांव को रसोइयों का गांव का भी कहा जाता है। 

 

कैसे शुरू हुई थी प्रथा

इस गांवों में पुरुषों द्वारा खाने बनाने की प्रथा करीब 500 साल पुरानी है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर व्यापारियों की रेड्डीयार जाति ने स्थानीय स्तर की वनियार जाति को खाना बनाने काम दिया था।

इसकी एक प्रमुख वजह यह भी थी कि उस समय लोग खेती में अधिक कुशल नहीं थे और उन्हें अन्य कोई काम भी नहीं आता था। इस वजह से वे कुकिंग में ही अपनी दिलचस्पी रखते थे और अच्छा खाना बनाते थे। तब से अब तक यह प्रथा चली आ रही है। 

 

शादी-पार्टी के ऑर्डर होते हैं बुक

पुरुषों की टीम यहां पर शादी-पार्टी की ऑर्डर लेती है। खास बात यह है कि यहां के पुरुष एक हजार लोगों का खाना भी सिर्फ तीन से चार घंटे में तैयार कर देते हैं। हालांकि, यहां गांव में आज भी घर में खाना बनाने की जिम्मेदारी महिलाओं  के हाथ में है। ये पुरुष घर जाकर महिलाओं के हाथ से बना खाना ही खाते हैं। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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