Mahakumbh 2025: भारत में आयोजित होने वाला कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। इस बार महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जो कि 144 साल में एक बार आयोजित होता है। क्योंकि, पूर्ण कुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता है और जब 12वीं बार पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है, तो इसे महाकुंभ कहा जाता है।
ऐसे में इस बार का महाकुंभ खास है। यहां पहले शाही स्नान में करोड़ों श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, अब दूसरा शाही स्नान आ रहा है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यह शाही स्नान क्या होता है। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कब था पहला शाही स्नान
महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ है और यह आगामी 26 फरवरी तक चलेगा। आयोजन के तहत पहला शाही स्नान 14 जनवरी यानि कि मकर सक्रांति के दिन था। इस दिन करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी।
अब कब है शाही स्नान
आगामी 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पड़ रही है। ऐसे में इस दिन दूसरा शाही स्नान है। इस तारीख को लेकर प्रशासन ने खास तैयारी की है, क्योंकि इस दिन महाकुंभ क्षेत्र में करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इसके बाद 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन तीसरा शाही स्नान है। वहीं, अंतिम स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन है।
क्या होता है शाही स्नान
शाही स्नान कुंभ मेले का एक खास अनुष्ठान है। यह मेले में कुछ प्रमुख तिथियों पर ही होता है। इस दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती(अदृश्य) जैसी पवित्र नदियों के त्रिवेणी संगम में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसे लेकर मान्यता है कि ऐसा करने पर पाप दूर होते हैं।
शाही स्नान से जुड़ी कुछ खास बातें
-शाही स्नान का आयोजन पांचांग के तिथियों के मुताबिक ही किया जाता है।
-इस दिन पहले साधु-संत स्नान करते हैं और इसके बाद आम व्यक्ति स्नान करता है।
-शाही स्नान के अवसर पर सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं।
-स्नान से पहले साधु-संतों का भव्य जुलूस निकाला जाता है।
-जुलूस में पूरे मार्ग को रंगोली और फूलों से सजाया जाता है।
-शाही स्नान के दिन ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति शुभ मानी जाती है। ऐसे में इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं।
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