उत्तर प्रदेश की जिस तस्वीर को हम आज देखते हैं, वह शुरू से ऐसी नहीं थी, बल्कि प्रदेश का दायरा इससे अधिक हुआ था। हालांकि, इतिहास में वह दिन भी आया, जब अलग-अलग कारणों की वजह से प्रदेश का विभाजन हुआ और यूपी में से एक नए राज्य का गठन किया गया। इस लेख में हम जानेंगे कि कब और क्यों उत्तर प्रदेश का विभाजन हुआ था।
कब हुआ था उत्तर प्रदेश का विभाजन
उत्तर प्रदेश का विभाजन 9 नवंबर 2000 को हुआ था। उस समय इस राज्य से उत्तरांचल राज्य का गठन किया गया था, जिसका साल 2006 में नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। हालांकि, प्रदेश का विभाजन एक जटिल प्रक्रिया थी, जो कई सालों तक चली थी। इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारण थे। आइए इन कारणों को विस्तार से समझते हैं:
भौगोलिक और पर्यावरणीय भिन्नता:
पहाड़ी बनाम मैदानी क्षेत्र: उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग हिमालय की गोद में स्थित पहाड़ी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल आते हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां मैदानी क्षेत्रों से अलग हैं। यहां एक तरफ ऊंचे पहाड़ और गहरी घाटियां हैं, तो दूसरी तरफ घने जंगल और तेज बहाव वाली नदियां मौजूद हैं।
जलवायु और जीवनशैली: यूपी के उत्तरी क्षेत्र में पहाड़ी क्षेत्र की जलवायु ठंडी है। साथ ही, यहां की जीवनशैली मैदानी क्षेत्रों की तुलना में अधिक कठिन है। इसके अतिरिक्त यहां कृषि के तरीके भी अलग हैं।
पर्यावरणीय मुद्दे: यह बात हम सभी जानते हैं कि पहाड़ी क्षेत्र में नाजुक पारिस्थितिकी होती है। यहां वनों की कटाई, भूस्खलन और जल स्रोतों का संरक्षण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दे थे।
रोजगार के अवसरों की कमी: पहाड़ी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास सीमित हो गया था। इस वजह से युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में पलायन एक बड़ी समस्या बन चुकी थी।
कृषि पर निर्भरता: पहाड़ी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थी। वहीं, सीमित भूमि और कठिन परिस्थितियों के कारण इससे लाभ नहीं हो रहा था।
सांस्कृतिक और भाषाई भिन्नता
उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों की अपनी सांस्कृतिक पहचान, लोकगीत, लोकनृत्य और परंपराएं हैं। ये यूपी के अन्य भागों से बिल्कुल अलग है। इन क्षेत्रों में गढ़वाली और कुमाऊंनी जैसी प्रमुख भाषाएं बोली जाती हैं, जिनकी अपनी साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत है। ऐसे में इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण की चिंता थी।
राज्य के लिए आंदोलन
उत्तराखंड के लिए अलग राज्य की मांग काफी समय से की जा रही थी। आजादी के समय से पहले से ही इस क्षेत्र के लोग अपनी विशिष्ट पहचान और विकास की आवश्यकताओं को देखते हुए एक अलग प्रशासनिक इकाई की मांग कर रहे थे। इस कड़ी में 1990 के दशक में इस मांग में तेजी हुई कई राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने आंदोलन चलाया। इस बीच कई हिंसक घटनाएं भी हुईं। ऐसे में साल 2000 में 9 नवंबर को उत्तर प्रदेश से अलग कर उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया।
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