किसने और कब किया था टेलीफोन का आविष्कार, जानें

Sep 12, 2025, 14:43 IST

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को टेलीफोन के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। यह एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक थी, जिसने संचार की दुनिया में क्रांति ला दी। 1876 में उन्होंने अपने डिवाइस पर पहली बार यह प्रसिद्ध शब्द कहे, "मिस्टर वॉटसन, यहां आओ—मैं तुम्हें देखना चाहता हूं।" उन्होंने अपने एक प्रतिद्वंद्वी से कुछ घंटे पहले ही अपना पेटेंट दाखिल किया था। इसके बाद उन्होंने बेल टेलीफोन कंपनी बनाई, जिसने उनकी विरासत को हमेशा के लिए स्थापित कर दिया।

टेलीफोन का इतिहास
टेलीफोन का इतिहास

फोन मानव जाति के सबसे क्रांतिकारी आविष्कारों में से एक है। इसने दूर बैठे लोगों के बात करने का तरीका बदल दिया और आधुनिक समाज के विकास को एक नई दिशा दी। लेकिन, इस क्रांतिकारी तकनीक के लिए कौन जिम्मेदार था? इसका जवाब अलेक्जेंडर ग्राहम बेल के शानदार काम से जुड़ा है, जिनका नाम पहले काम करने वाले टेलीफोन के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया है।

आविष्कारक: अलेक्जेंडर ग्राहम बेल

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (1847–1922) स्कॉटलैंड में जन्मे एक वैज्ञानिक, आविष्कारक और इंजीनियर थे। उन्हें भाषण और ध्वनि से जीवन भर गहरा लगाव था। उनकी मां और पत्नी, दोनों सुन नहीं सकती थीं। बहरेपन से जुड़े अपने काम ने भी उन्हें प्रेरित किया। इसी वजह से बेल बोले गए शब्दों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रसारित करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित हुए।

टेलीफोन का विकास

बेल के टेलीफोन बनाने का सफर टेलीग्राफी के अध्ययन से शुरू हुआ। खासकर, उन्होंने एक ही तार पर कई संदेश भेजने के प्रयोग किए (जिसे "हार्मोनिक टेलीग्राफ" कहते हैं)। इस पर काम करते-करते बेल की रुचि इंसानी आवाज को ही प्रसारित करने में बढ़ने लगी।

1875 तक बेल अपने सहयोगी थॉमस वॉटसन के साथ मिलकर एक तार के जरिए ध्वनि के कंपन को प्रसारित करने में कामयाब हो गए।

एक बड़ा मोड़ 10 मार्च, 1876 को आया, जब बेल ने अपनी मशीन पर पहली बार वॉटसन से बात की, "मिस्टर वॉटसन, यहां आओ—मैं तुम्हें देखना चाहता हूं।" ये टेलीफोन पर भेजे गए पहले शब्द थे और दूसरे कमरे में बैठे वॉटसन ने उन्हें साफ-साफ सुना।

पेटेंट की दौड़ और पहचान

इस विचार पर काम करने वाले बेल अकेले आविष्कारक नहीं थे। इलिशा ग्रे नाम के एक अमेरिकी आविष्कारक भी इसी तरह का एक उपकरण बना रहे थे। दोनों के बीच एक दौड़-सी थी। बेल ने 14 फरवरी, 1876 को अपना पेटेंट आवेदन जमा किया। यह ग्रे के अपना केविएट (आविष्कार करने के इरादे का बयान) दाखिल करने से कुछ घंटे पहले किया गया था। 7 मार्च, 1876 को अमेरिकी पेटेंट कार्यालय ने बेल को पेटेंट नंबर 174,465 जारी किया और तब से यह अब तक के सबसे प्रतिष्ठित पेटेंट में से एक बन गया है।

प्रतिद्वंद्वियों के दावों और बड़े कानूनी मुकदमों के बावजूद, पेटेंट बेल के पास था। अगले दशकों में बेल के आविष्कार का व्यवसायीकरण किया गया (बेल टेलीफोन कंपनी, जो बाद में एटी एंड टी बनी, के जरिए) और इसने दुनिया के बातचीत करने के तरीके को बदल दिया।

जून 1876 तक बेल ने फिलाडेल्फिया सेंटेनियल प्रदर्शनी में दुनिया के सामने अपने टेलीफोन का प्रदर्शन कर दिया था। इसके तुरंत बाद उन्होंने कनाडा के ओंटारियो में दुनिया की पहली लंबी दूरी की टेलीफोन कॉल की।

प्रभाव और विरासत

टेलीफोन के आविष्कार ने जल्द ही एक संचार क्रांति को जन्म दिया:

-इसने लंबी दूरी पर वास्तविक समय में भरोसेमंद आवाज में बातचीत की सुविधा दी।

-दुनिया भर के बिजनेस, सरकारें और परिवार ऐसे जुड़े, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था।

-बेल के आविष्कार ने दूरसंचार के उदय का रास्ता बनाया। इसी के चलते मोबाइल और डिजिटल गैजेट्स आए, जो आज हमारे जीवन का हिस्सा हैं।

बेल ने खुद बाद में दूसरे क्षेत्रों में भी योगदान दिया, जैसे ऑप्टिकल दूरसंचार, विमानन और यहां तक कि नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी की स्थापना में भी। हालांकि, उनकी सबसे प्रसिद्ध विरासत टेलीफोन ही है।

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को टेलीफोन के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। इसका पहला व्यावहारिक रूप 1876 में पेटेंट और प्रदर्शित किया गया था। उनकी रचनात्मकता, दृढ़ संकल्प और तकनीकी विशेषज्ञता ने न केवल लोगों के संवाद करने का तरीका बदला, बल्कि दुनिया को इस तरह से जोड़ा, जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी।

टेलीफोन का इतिहास, जो जिज्ञासा, प्रतिस्पर्धा और आविष्कार से जन्मा एक आविष्कार है, इस बात का प्रमाण है कि इंसान की क्षमताएं क्या कुछ कर सकती हैं।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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