भारत में सबसे लंबी नदियों की बात करें, तो इसमें गंगा नदी का नाम सबसे टॉप पर आता है। भारत की यह नदी सबसे पवित्र नदी भी कही जाती है। ऐसे में इसके पानी की अधिक महत्ता है। यह बात हम सभी जानते हैं कि गंगा का पानी ऐसा पानी है, जो लंबे समय तक घरों में रखा जा सकता है और यह कभी खराब नहीं होता है।
हालांकि, क्या आप इसके पीछे वैज्ञानिक कारण को जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कहां से आता है गंगाजल
गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड में गंगोत्री में गौमुख से होता है। दरअसल, यह नदी अलकनंदा और भागीरथी नदी से मिलकर बनती है, जो कि भारत और बांग्लादेश में कुल 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है। इसकी बाएं की ओर सहायक नदियां-रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा है, जबकि दाएं की ओर सहायक नदियां यमुना और सोन नदी है।
यह बात हम सभी जानते हैं कि यमुना और गंगा नदी का संगम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में अकबर के किले के नीचे होता है।
गंगाजल में होता है 25 फीसदी अधिक ऑक्सीजन
वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक, गंगाजल में ऑक्सीजन लेवल अन्य नदियों की तुलना में 25 फीसदी अधिक होता है, जिससे बैक्टिरिया को पनपने में मुश्किल होती है और इससे पानी सड़ने से बच जाता है।
पानी में मौजूद होता है अधिक सल्फर
गंगा का उद्गम पहाड़ों से होता है और यह हरिद्वार तक पहाड़ों में बहता हुआ आता है। इस दौरान गंगाजल में पहाड़ों में मौजूद कई तत्व मिलते हैं, जिसमें सल्फर भी मौजूद होता है। गंगाजल में अन्य नदियों की तुलना में अधिक सल्फर होता है, जिससे इसमें कीटाणु पैदा नहीं होते हैं।
गंगाजल में होता है यह वायरस
वैज्ञानिकों के मुताबिक, गंगाजल में बैक्टिरियोफेजस वायरस होते हैं, जो कि बैक्टिरियो को खत्म कर देते हैं, जिससे गंगाजल सेल्फ क्लीनिंग गुणवत्ता के लिए भी जाना जाता है। इससे गंगाजल को लंबे समय तक रखा जा सकता है और यह खराब नहीं होता है।
ऐसे में हम कह सकते हैं गंगाजल हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को एक साथ जोड़ता है। आज भी धार्मिक अनुष्ठाओं में गंगाजल का प्रयोग होता है, जो कि इसकी पवित्रता के कारण ही है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation