आम बजट (2010-11)

Aug 1, 2011, 14:27 IST

आम  आदमी के लिहाज से बजट को निराशाजनक ही कहा जाएगा क्योंकि उसे बजट के द्वारा काफी राहत की उम्मीदें थीं। हालांकि उद्योग जगत ने इसका काफी स्वागत किया क्योंकि इसमें उसके लिए काफी कुछ था।

आम बजट (2010-11)

 

"आम  आदमी के लिहाज से बजट को निराशाजनक ही कहा जाएगा क्योंकि उसे बजट के द्वारा काफी राहत की उम्मीदें थीं। हालांकि उद्योग जगत ने इसका काफी स्वागत किया क्योंकि इसमें उसके लिए काफी कुछ था।  "

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2010-11 का आम बजट पेश किया। यह वित्त मंत्री के रूप में उनका लगातार दूसरा बजट था। यदि आम आदमी के लिहाज से देखा जाये तो बजट को निराशाजनक ही कहा जा सकता है, हालांकि उद्योग जगत ने बजट का आमतौर पर स्वागत ही किया। हाल के दिनों में महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है और आम आदमी यह उम्मीद लगाय बैठा था कि कुछ ऐसी घोषणाएं की जाएंगी जिससे उसे राहत हासिल होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा

इस बजट में 2010-11 में सरकार का कुल व्यय 11,08,749 करोड़ रुपये अनुमानित किया गया। यह 2009-10 के बजट अनुमानों से 8.6 फीसदी अधिक था। इस प्रस्तावित व्यय में 7,35,657 करोड़ रुपये आयोजना भिन्न व्यय व शेष 3,73,092 करोड़ रुपये आयोजना व्यय निर्धारित किया गया।

2010-11 में 11,08,749 करोड़ रुपये की कुल प्राप्तियों में 6,82,21 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्तियाँ व 4,26,537 करोड़ रुपये पूँजीगत प्राप्तियाँ अनुमानित की गईं। बजट में 40,000 करोड़ रुपये विनिवेश से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया।

बजट में सुरक्षा के लिए 1,47,344 करोड़ रुपये व सब्सिडी के लिए 1,16,224 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने का प्रयास यूपीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान से ही कल्याणकारी योजनाओं पर काफी धनराशि खर्च किया है। वित्त मंत्री ने बजट में वित्तीय प्रबंधन व सरकार के सामाजिक सरोकारों के बीच में संतुलन साधने की पूरी कोशिश की। पिछले कई वर्र्षों से बढ़ता राजकोषीय घाटा देश के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। वर्ष 2008-09 के दौरान यह 6.8 फीसदी था। वर्ष 2009 में चुनाव वर्ष होने की वजह से सरकार ने रियायतों का पिटारा खोल दिया था। किसानों के लगभग साठ हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिये गये थे। इन घोषणाओं की वजह से राजकोषीय घाटा खतरे के निशान को पार करता हुआ नजर आया। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए इसमें कमी लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। वर्ष 2012-13 तक इसे 4.1 फीसदी के स्तर पर लाने की कोशिश की जाएगी। वित्त मंत्री ने विनिवेश के द्वारा 40,000 करोड़ रुपये और 3-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के द्वारा राजकोषीय घाटा कम करने की आशा लगाई है। अब देखना यह है कि वे अपने लक्ष्य में कहां तक सफल होते हैं।

आम आदमी को हाथ लगी निराशा

वैश्विक मंदी के दौैरान पश्चिमी देशों - यहां तक कि अमेरिका तक की अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा गई थी। ऐसे वक्त में भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने संतुलन को बनाये रखा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी सफलता मानी जा सकती है। हालांकि यहां पर एक बात गौरतलब है कि इस दौरान भारतीय नीति-निर्माताओं के पास अर्थव्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन करने का एक सुनहरा अवसर था जो उन्होंने गवां दिया। यही कारण है कि देश में उपभोक्ता वस्तुओं खास कर खाद्य वस्तुओं के दाम काफी तेजी से बढ़े। आम आदमी को आशा थी कि वित्त मंत्री इस बजट में कुछ ऐसे कदम उठाएंगे जिससे खाने-पीने की वस्तुओं के दामों में अंकुश लगेगा।

लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा। वित्त मंत्री ने डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी कर दी जिससे आने वाले वक्त में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम और भी बढ़ेगे।

लोकलुभावन नीतियाँ

कृषि क्षेत्र पर विशेष मेहरबानी दिखाते हुए किसानों को कर्ज माफी व सस्ते कर्ज के तोहफे भी दिये गये। समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को 5 फीसदी की रियायती दर पर कृषि ऋण मिलेगा और कृषि क्षेत्र के लिए ऋण 15 फीसदी बढ़ाया गया। यहाँ पर एक बात उल्लेखनीय है कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बजट में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं की गई।

आयकर स्लैब में फेरबदल

आम करदाताओं के लिए मूल छूट की सीमा जहां 1.6 लाख रु. पर बरकरार रखी गई, वहीं 10 फीसदी की दर 1.6 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के स्लैब पर लागू होगी। 20 फीसदी की कर दर अब 5 लाख से 8 लाख रुपये के नए स्लैब पर लागू होगी। नये आयकर स्लैब से उच्च आय वर्ग के लोगों को विशेष रूप से फायदा पहुंचेगा।

प्रोत्साहन पैकेजों की वापसी शुरू

आर्थिक मंदी के दौरान कई प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की गई थी। अब इन प्रोत्साहन पैकेजों की आंशिक वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी को देखते हुए केेंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती आंशिक रूप से वापस लेने की घोषणा बजट में की गई। इसकी वजह से कई चीजों के दाम अपने आप बढ़ जायेंगे।

आम बजट: खास बातें

  • चालू वित्त वर्ष (2009-10) में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 6.9 फीसदी रहने की संभावना।
  • प्रत्यक्ष कर संहिता व वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन 1 अप्रैल, 2011 से संभावित।
  • 2010-11 में विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
  • उवर्रकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी प्रणाली 1 अप्रैल, 2010 से लागू कर दी गई।
  • पेट्रोल-डीजल पर सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी।
  • आठ नई सेवाओं को सेवाकर के दायरे में लाया गया।
  • 2010-11 में कुल सब्सिडी बिल घटाकर 108866.91 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव।
  • जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता का सृजन किया जायेगा।
  • 2010-11 में योजनागत व्यय को 15 फीसदी बढ़ाकर 3.73 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव। गैर-योजनागत व्यय 70 फीसदी से घटाकर 66 फीसदी करने का प्रस्ताव।
  • निजी क्षेत्र में बैंक की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किये जाएंगे।
  • प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय दक्षता विकास परिषद का मिशन वर्ष 2022 तक 50 करोड़ कुशल व्यक्ति तैयार करने का लक्ष्य।
  • अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउण्ड, यूरोपीय यूरो व जापानी येन की तरह भारतीय रुपये का भी विशिष्ट प्रतीक चिन्ह होगा।
  • कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह का लक्ष्य 2010-11 के लिए 3,75,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया।
  • किसानों के लिए ऋण माफी व ऋण राहत योजना के अंतर्गत ऋण वापसी की समय सीमा में 6 माह की वृद्धि ।
  • सितंबर 2009 में शुरु किये गये साक्षर भारत कार्यक्रम का लक्ष्य 7 करोड़ निरक्षर वयस्कों को साक्षर बनाने का है। इसमें कुल 6 करोड़ महिलाओं को साक्षर बनाया जाएगा।
  • बजट में ग्रामीण विकास के लिए 66,100 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये। मनरेगा के लिए 40,100 करोड़ रुपए व स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के लिए 5,400 करोड़ रुपए आवंटित किये
  • गये।
  • असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए नेशनल सोशल सिक्युरिटी फंड के गठन की घोषणा। इसके लिए 1000 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये।

Jagran Josh
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Education Desk

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