मगध साम्राज्य के उदय एवं विकास का संक्षिप्त विवरण

मगध साम्राज्य की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व से 4थी शताब्दी ई.पू. तक चार महाजनपद मगध, कोशल, वत्स और अवंती एक-दूसरे के ऊपर वर्चस्व स्थापित करने के लिए संघर्ष में लगे हुए थे| अंततः मगध उत्तर भारत में सबसे शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य के रूप में उभरा| यहाँ हम मगध साम्राज्य के उदय एवं विकास का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|

Nov 4, 2016, 12:28 IST

मगध साम्राज्य की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व से 4थी शताब्दी ई.पू. तक चार महाजनपद मगध, कोशल, वत्स और अवंती एक-दूसरे के ऊपर वर्चस्व स्थापित करने के लिए संघर्ष में लगे हुए थे| अंततः मगध उत्तर भारत में सबसे शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य के रूप में उभरा|

यहाँ हम मगध साम्राज्य के उदय एवं विकास का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|

मगध साम्राज्य का उदय एवं विकास: एक संक्षिप्त विवरण

मगध साम्राज्य के संस्थापक “जरासंध” और “बृहद्रथ” थे लेकिन इसका विकास “हर्यक” वंश के समय में शुरू हुआ था, जबकि इसका विस्तार “शिशुनाग” एवं “नंद” वंश के समय हुआ था| अंततः “मौर्य” वंश के शासनकाल में मगध साम्राज्य अपने सर्वोच्च मुकाम पर पहुँच गया था|

हर्यक वंश

हर्यक वंश के तीन महत्वपूर्ण शासक “बिम्बिसार”, “अजातशत्रु” एवं “उदायिन” थे| इनके शासनकाल में मगध की आरंभिक राजधानी “गिरिव्रज” थी| बाद में “राजगृह” को मगध की राजधानी बनाई गई थी|

बिम्बिसार (श्रेणिक)

1. वह पहला शासक था जिसके पास “पैदल सेना” थी और वह बुद्ध का समकालीन था|
2. उसने “अंग” शासक ब्रह्मदत्त को हराने के बाद एक राजा के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पहली बार वैवाहिक गठबंधन की शुरूआत की थी|
3. उसने “महाकोसलदेवी” (कोसल की राजकुमारी और प्रसेनजीत की बहन), लिच्छवी राजकुमारी “चेल्लना” और “क्षेमा” (पंजाब के “मद्र” जनपद की राजकुमारी) से विवाह किया था|
4. विभिन्न राजसी परिवारों के साथ विवाह संबंधों के कारण बिम्बिसार को भारी कूटनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई जिससे पश्चिम और उत्तर के क्षेत्र में मगध के विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ|
5. तक्षशिला के गांधार शासक का राजदूत “पुकुस्ती” बिम्बिसार के दरबार में आया था|
6. उसने अपने निजी चिकित्सक “जीवक” (सलावती के पुत्र) को अपने प्रतिद्वंदी उज्जैन के शासक “चंदप्रद्योत महासेन” के पास उसके पीलिया के इलाज के लिए भेजा था|

अजातशत्रु (कुणिक)

1. वह बिम्बिसार और चेल्लना का पुत्र था जिसने अपने पिता की हत्या करके सिंहासन पर कब्जा कर लिया था|
2. वह महावीर और गौतम बुद्ध दोनों का समकालीन था|
3. उसने बुद्ध की मृत्यु के कुछ ही समय बाद राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|

उदायिन

1. वह अजातशत्रु का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था|
2. उसने गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) नामक राजधानी की स्थापना की थी|
3. अवन्ति के शासक “पालक” की शह पर “उदायिन” की हत्या की गई थी| उसके उत्तराधिकारी अनुरुद्ध, मुण्ड और नागदशक कमजोर शासक थे|

शिशुनाग वंश

1. शिशुनाग “नागदशक” का मंत्री था जिसे प्रजा ने राजा के रूप में चुना था|
2. उसने अवन्ति के प्रद्योत राजवंश को नष्ट किया था जिससे मगध और अवन्ति के बीच 100 सालों से चल रही प्रतिद्वंद्विता समाप्त हुई थी|
3. “कालाशोक (काकवर्ण)”, शिशुनाग का उत्तराधिकारी था|
4. उसने “वैशाली” के स्थान पर “पाटलिपुत्र” को अपनी राजधानी बनाया और उसके संरक्षण में “द्वितीय बौद्ध संगीति” का आयोजन वैशाली में किया गया था|

नंद वंश

यह पहला गैर-क्षत्रिय राजवंश था और इसका संस्थापक महापद्मनंद था|

महापद्मनंद

1. उसे “एकराट”, “एकक्षत्रक” (संप्रभु शासक), “सर्वक्षत्रान्तक” या “उग्रसेन” (विशाल सेना रखने वाला) नामों से भी जाना जाता है|
2. पुराणों के अनुसार महापद्मनंद एक शूद्र औरत का पुत्र था लेकिन जैन ग्रंथों और यूनानी लेखक “कर्टियस” के अनुसार वह वेश्या और नाई का पुत्र था|
3. उसने कोसल और कलिंग पर विजय प्राप्त की थी| कलिंग पर विजय प्राप्त करने के बाद महापद्मनंद ने “जिनसेन” की एक प्रतिमा विजय के प्रतीक के रूप में मगध ले आया था|

धनानन्द

1. वह अंतिम नंद शासक था|
2. उसके शासनकाल के दौरान (326 ईसा पूर्व में) अलेक्जेंडर ने उत्तर-पश्चिमी भारत पर आक्रमण किया था लेकिन उसकी विशाल सेना ने गंगा घाटी की ओर आगे बढ़ने से इन्कार कर दिया|
3. ग्रीक ग्रंथों में धनानन्द का नाम “अग्रमीज” और “जैन्द्रमीज” है|

मगध साम्राज्य के उदय के कारण

1. मगध साम्राज्य का उदय इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण हुआ क्योंकि राजगृह और पाटलिपुत्र दोनों रणनीतिक स्थान पर स्थित थे|
2. प्राकृतिक संसाधनों विशेष रूप से लोहा का बहुतायत मात्रा में उपलब्धता जिससे उन्हंज प्रभावी हथियार बनाने में मदद मिली|
3. भरपूर कृषि उपज क्योंकि यह क्षेत्र उपजाऊ गंगा के मैदान में स्थित था|
4. शहरों के उदय और धात्विक मुद्रा के कारण व्यापार और वाणिज्य को बल मिला था|
5. मगध समाज का अपरंपरागत चरित्र|

मगध प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था और मोटे तौर इसका विस्तार आधुनिक बिहार और पश्चिम बंगाल के अधिकांश जिलों तक था|

प्राचीन भारतीय पुस्तक एवं उनके लेखकों की सूची

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News