हमारे देश भारत में जैसे ही कॉमर्स स्टूडेंट्स अपनी 12 वीं क्लास पास करते हैं, वे अपने भावी करियर को लेकर काफी सचेत हो जाते हैं. अभी अगर आप भी 12 वीं में पढ़ने वाले इन कॉमर्स स्टूडेंट्स में से एक हैं या फिर, अभी हाल ही में आपने कॉमर्स स्ट्रीम से अपनी 12 वीं क्लास पास की है, तो आपके लिए अपने भविष्य के सपनों को साकार करने के कई विशेष अवसर भारत में मौजूद हैं. आपको बस केवल एक ही प्रयास करने जरुरत है, वह प्रयास यह है कि आप अपने स्किल तथा रूचि के अनुरूप सही मार्गदर्शन पाकर, अपनी भावी करियर लाइन के मुताबिक, अपने लिए सही कोर्स ऑप्शन चुनें. कुछ लोग सोचते हैं कि, भारत में कॉमर्स करने के बाद अकाउंटेंट या CA बनने के अलावा और कोई बेहतर ऑप्शन कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध नहीं है. लेकिन अब वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है. आजकल 12वीं पास कॉमर्स स्टूडेंट्स के लिए अनेक प्रमुख कोर्स ऑप्शन मौजूद है. इसलिए, इस आर्टिकल में आपके लिए नीचे कॉमर्स के टॉप 10 कोर्सेज के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत है. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:

चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए)
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स कराया जाता है. सीए बनने के लिए सबसे पहले कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (सीपीटी) देना पड़ता है. इस टेस्ट को पास करने के बाद ही छात्रों की सीए बनने की जर्नी शुरू होती है. चार्टर्ड अकाउंटेंसी में कुल चार विषय मर्केटाइल लॉ, अकाउंटिंग जनरल इकोनॉमिक्स एवं क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड विषयों की पढ़ाई मुख्य रूप से होती है.इसके लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कॉर्मस स्ट्रीम में 12वीं पास करना एक अनिवार्य योग्यता है.कुछ स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन करने के बाद भी सीए कोर्स में एडमिशन लेते हैं.लेकिन सीए कोर्स की अत्यधिक लंबी अवधि की वजह से सीए की शुरुआत का सही समय 12वीं पास करने के बाद ही है. सीए की तैयारी के लिए छात्रों को अकाउंटिग सब्जेक्ट का अच्छा ज्ञान होना चाहिए.इसके अतिरिक्त एक सफल सीए बनने के लिए स्टूडेंट्स के पास मैनेजमेंट तथा फायनांस के विषय में भी पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए.
कंपनी सेक्रेटरी
आजकल कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स कॉमर्स स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय है. सेक्रेटरी का कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) से किया जा सकता है. फाइन आर्ट्स के बिना साइंस, कॉमर्स और ऑर्ट्स में 12वींकरने वाले स्टूडेंट्स कंपनी सेक्रेटरी कोर्से के लिए योग्य माने जाते हैं. इसकी पढ़ाई तीन चरणों में कराई जाती है.फाउंडेशन,एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल. ग्रेजुएशन पूरा करने वाले स्टूडेंट्स डायरेक्ट एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम में भाग ले सकते हैं.एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद किसी कंपनी या किसी अनुभवी या प्रैक्टिस कर रहे कंपनी सेक्रेटरी के साथ 16 महीने की ट्रेनिंग करना अनिवार्य होता है. प्रोफेशनल कोर्स और ट्रेनिंग के बाद आईसीएसआई का एसोसिएट सदस्य बनने की योग्यता प्राप्त हो जाती है.
कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट
यह सीए से मिलता-जुलता कोर्स है. द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ इंडिया कॉस्ट अकाउंटेंसी का कोर्स कराता है. कॉमर्स स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद स्टूडेंट्स कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. लेकिन इसके लिए 12वीं पास स्टूडेंट्स को सबसे पहले फाउंडेशन कोर्स करना जरूरी होता है. कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुडे़ पदों पर काम कर सकते हैं. कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट कोर्स में एडमिशन के लिए साल में दो बार जून और दिसम्बर में एंट्रेंस एग्जाम होता है. फाउंडेशन कोर्स के बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की भांति ही फाइनल एग्जाम देकर इस कोर्स को पूरा किया जाता है.
बीसीए (आईटी एंड सॉफ्टवेयर)
कॉमर्स स्ट्रीम से 12 वीं करने के बाद बीसीए आईटी एंड सॉफ्टवेयर का कोर्स करने का भी ऑप्शन मौजूद है.बीसीए विशेष रूप से उनस्टूडेंट के लिए है जो कंप्यूटर की भाषाओं की दुनिया को जानने की तीव्रतम इच्छा रखते हैंएक बीसीए की डिग्री कम्प्यूटर साइंस या इनफ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बीटेक / बीई डिग्री के बराबर मानी जाती है. एक उम्मीदवार जिसने गणित के साथ किसी भी विषय से 12वीं पास की हो वो इसके लिए योग्य माने जाते हैं.इसलिए अगर कॉमर्स स्टूडेंट चाहें तो ये कोर्स कर सकते हैं. उनके लिए यह एक बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है.
बैचलर ऑफ कॉमर्स - बैंकिंग एंड इंश्योरेंस
बैचलर ऑफ कॉमर्स (बैंकिंग एंड इंश्योरेंस) एकेडमिक और प्रोफेशनल दोनों ही डिगी के रूप में आता है. इसके अंतर्गत बैंकिंग लॉ,अकाउंटिंगइंश्योरेंस लॉ, बैंकिंग और इंश्योरेंस रिस्क कवर आदि विषयों को पढ़ाया जाता है. साथ ही इसमें बैंकिंग तथा इंश्योरेंस इंडस्ट्री के अंतर्गत शामिल सभी विषयों को कवर किया जाता है. इस कोर्स में कुल 38 विषय पढ़ाये जाते हैं. इसके अतिरिक्त इसमें कुछ प्रोजेक्ट भी कराये जाते हैं जिससे प्रोफेशनल जगत में काम करने में आसानी होती है. बैचलर ऑफ कॉमर्स - बैंकिंग एंड इंश्योरेंस कोर्स की पढ़ाई करने के बाद स्टूडेंट्स सीएफए, एमबीए एमकॉम जैसे कोर्सेज भी अपनी सुविधा और बजट के अनुरूप कर सकते हैं. इतना ही नहीं इस कोर्स को करने के बाद सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में ऑडिटिंग, अकाउंटेंसी, बैंकिंग, फाइनांस आदि कोर में नौकरी की जा सकती है.
बैचलर ऑफ कॉमर्स-फाइनेंशियल मार्केट्स
बैचलर ऑफ कॉमर्स इन फाइनांशियल मार्केट्स में फाइनांस, इंवेस्टमेंट्स, स्टॉक मार्केट, कैपिटल, म्यूचल फंड आदि के बारे में पढ़ाया जाता है. इस प्रोग्राम को कुल 6 सेमेस्टर में विभाजित किया गया है तथा इसमें कुल 41 विषयों को कवर किया जाता है.इस कोर्स को करने के बाद ट्रेनी एसोसिएट, फाइनांस ऑफिसर, फाइनांस कंट्रोलर, फाइनांस प्लानर, रिस्क मैनेजमेंट, मनी मार्केट डीलर इंश्योरेंस मैनेजर आदि के पदों पर कार्य किया जा सकता है.
बैचलर ऑफ कॉमर्स-एकाउंटिंग एंड फाइनांस
बैचलर ऑफ कॉमर्स इन अकाउंटिंग एंड फाइनांस कोर्स को 12 वीं के बाद किया जा सकता है. यह एक तीन साल का डिग्री प्रोग्राम है.इसके अंतर्गत अकाउंटिंग और फाइनांस की विस्तृत जानकारी प्रदान की जाती है. इस कोर्स को करने के बाद अकाउंट्स और फाइनांस के फील्ड में बहुत अधिक अवसर उपलब्ध होते हैं.शुरुआती दिनों में तो एक ट्रेनी अकाउंटेंट के रूप में ही काम करना पड़ता है लेकिन आगे चलकर भविष्य उज्जवल होता है.इस प्रोग्राम में अकाउंट्स, फाइनांस, टेक्सेशन के करीब 39 विषय पढ़ाए जाते हैं. इस डिग्री प्रोग्राम में फायनेंस से जुड़े मुद्दों पर अधिकतम फोकस किया जाता है.
बैचलर ऑफ कॉमर्स
यदि स्टूडेंट्स 12वीं के बाद कॉमर्स में तीन साल का ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो बीकॉम एक सबसे बढ़िया ऑप्शन है. बैचलर ऑफ कॉमर्स करने के बाद टैक्सेशन,फाइनांस, अकाउंटिंग, गुड्स अकाउंटिंग तथा अन्य क्षेत्रों में रोजगार की तलाश कर सकते हैं. बैचलर ऑफ कॉमर्स में मुख्य रूप से प्रोफिट एंड लॉस,कंपनी लॉ, गुड्स अकाउंटिंग,अकाउंट्स आदि विषयों में विस्तृत रूप से पढ़ाया जाता है. अगर आप इन सभी फील्ड में से किसी भी एक में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको बैचलर ऑफ कॉमर्स कोर्स का चयन करना चाहिए तथा यह आपके करियर ग्रोथ की पहली सीढ़ी होगी.
बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स)
अधिकांश स्टूडेंट्स बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स) और बैचलर ऑफ कॉमर्स के मीनिंग को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं तथा यह नहीं समझ पाते हैं कि इन दोनों में अंतर क्या है? वस्तुतः बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स) तीन वर्ष का एक डिग्री प्रोग्राम है जिसके अंतर्गत कुल 40 विषय पढ़ाये जाते हैं.इसमें इन विषयों के अलावा किसी एक विषय में स्पेशलाइजेशन कराया जाता है. स्पेशलाइजेशन सब्जेक्ट्स के लिए स्टूडेंट्स मार्केटिंग मैनेजमेंट, अकाउंटिंग और फाइनांशियल मैनेजमेंट, इंटरनेशनल ट्रेड एंड फाइनांस, ई कॉमर्स,ह्यूमन एंड रिसोर्स मैनेजमेंट और बैंकिंग में से किसी एक विषय का चयन कर सकते हैं बैचलर ऑफ कॉमर्स में ऑनर्स की तुलना में सभी विषयों में बहुत बृहद स्तर पर नहीं पढाया जाता है. स्टूडेंट्स चाहें तो स्पेशलाइजेशन सब्जेक्ट्स में मास्टर, एमफिल या पीएचडी भी कर सकते हैं.
बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन
वैसे तो किसी स्ट्रीम से 12वीं करने वाले स्टूडेंट बीबीए आसानी से कर सकते हैं, लेकिन कॉमर्स स्टूडेंट्स के बीच यह कोर्स बहुत ज्यादा लोकिप्रिय है. यह तीन वर्ष का कोर्स है, जिसमें स्टूडेंट्स को बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की जाती है. इस कोर्स के बाद एमबीए किया जा सकता है.इस कोर्स को पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स विभिन्न कंपनियों के एचआर, फाइनांस, सेल्स और मार्केटिंग विभाग में नौकरी की तलाश कर नौकरी कर सकते हैं.
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