बिहार बोर्ड एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है. इस बार कक्षा 12वीं की परीक्षा में कुल अंक से ज्यादा अंक मिलने का मामला सामने आया है. जिसके अन्तर्गत मार्कशीट के डिज़ाइन में सुधार करने की आवश्यकता पड़ गई तथा रविवार को बोर्ड की वेबसाइट पर मार्कशीट की डिज़ाइन में बदलाव कर दिया गया.
दरअसल दिए गए मार्कशीट में छात्रों को पूर्णांक से ज्यादा प्राप्तांक मिले थे. अब रविवार को मार्कशीट में किए बदलाव के बाद सही मार्कशीट छात्रों को मिल पाएगी. मुख्यतः अरबी नॉन हिंदी(50 अंक) के साथ अल्टरनेटिव इंग्लिश(50 अंक) लेने वाले छात्रों के साथ यह परेशानी हुई है. इन दोनों ही विषयों की परीक्षा साथ होती है लेकिन प्रश्न पत्र अलग-अलग होते हैं. साथ ही छात्रों को अंक भी अलग-अलग मिलते हैं.
हालाकी छात्रों को इन दोनों ही परीक्षाओं के अंक अलग ही दिए गए थे लेकिन मार्कशीट में जोड़ने वाले कॉलम में अलग नहीं किया गया था. जिस कारण-वश छात्रों को यह देख कर समझ ही नहीं आ रहा था कि उनके अंकपत्र यानि मार्कशीट में पूर्णांक से ज्यादा प्राप्तांक किस प्रकार आ गए.
जब छात्रों ने इस विषय में अपनी आवाज़ उठाई तो बोर्ड को अपनी गलती समझ में आई और तीन दिनों के बाद बोर्ड ने अपनी गलती को सुधरने के लिए मार्कशीट के डिज़ाइन में बदलाव किया. हालाकी ये कोई पहली दफा नहीं जब बिहार बोर्ड इस तरह से विवादों में घिरा हो. बल्कि इससे पहले भी 2016 में हुए टॉपर घोटाले ने कई सवाल बोर्ड पर खड़े कर दिए थे जिस कारण बिहार बोर्ड बहुत समय तक विवादों में रहा था.
बिहार बोर्ड के द्वारा हुई इस गलती के कारण छात्रों को कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ सकता था.
1. कक्षा 12वीं के छात्रों को बाहर एडमिशन के समय या इंजीनियरिंग, मेडिकल के काउंसलिंग में परेशानी का सामना करना पड़ सकता था.
2. नौकरी के समय भी छात्रों को इस कारण परेशानी हो सकती थी.
बिहार बोर्ड के द्वारा बनाए नए मार्कशीट में अब इन गलतियों को मद्देनज़र रखते हुए काफी सुधार किए गए हैं. अनिवार्य सभी विषयों के लिए मार्कशीट में कॉलम बनाया गया है जिसमें सभी के अंक अलग-अलग अंकित होंगे. आशा है कि बिहार बोर्ड द्वारा उठाए गए इस कदम से छात्रों को लाभ मिले तथा अब छात्रों को सही मार्कशीट प्राप्त हो.
शुभकामनाएं!!
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