वस्तुतः पृथ्वी ही अकेला एक ऐसा ग्रह है जहाँ पूरी तरह से जीवन संभव है. यदि हम पृथ्वी के महत्व को अधिक बढ़ाने की इच्छा रखते हैं तो हमें इसके लिए भरपूर प्रयास करने की आवश्यक्ता है. अपने इस प्रयास को वानिकी के माध्यम से गति प्रदान की जा सकती है.
पर्यावरण जगत में पिछले कई दशकों से जोरदार परिर्वतन देखने को मिले हैं. ग्रीन हाउस
गैसें, दिनों दिन नष्ट होती ओजोन परत, ग्लोबल वार्मिग, पिघलते ग्लेशियर्स जैसे मुद्दे जो पहले कभी भी चर्चा के विषय नहीं हुआ करते थें,आज पर्यावरणविदों के लिए प्रमुख चिंता का कारण बना हुआ है. गौरतलब है कि यह क्षेत्र करियर के कई विकल्पों और ग्रोथ से भरपूर अवसरों से परिपूर्ण है.
वाइल्ड लाइफ जर्नलिज्म इस समय यह सबसे हॉट सेक्टर है. जर्नलिज्म से जुडे लोगों के लिए यहां मौके ही मौके हैं. ऐस लोग वन्य जीवन से जुडी तमाम महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियां दर्शकों, पाठकों तक पहुंचाते हैं. वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, डॉक्यूमेंट्री निर्माण आदि इसके ही काम का हिस्सा होते हैं. वाइल्ड लाइफ की ओर रुझान रखने वाले क्रिएटिव युवाओं के लिए यहां अवसरों की भरमार है.इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में निम्नांकित पदों पर भी कार्य करने का मौका भी मिलता है -

फॉरेस्ट रेंजर- वनों की अवैध कटाई, शिकार पर लगाम लगाने के साथ सार्वजनिक वनों, अभ्यारणों, राष्ट्रीय उद्यानों में उचित वन्य कानून का पालन करना फॉरेस्ट रेंजर का मुख्य कार्य होता है. ये लोग राज्य वन सेवाओं के जरिए चुने जाते हैं.
जू क्यूरेटर- शहरी क्षेत्रों में बने चिडियाघरों व वन्य जीव अभ्यारणों में जानवरों की देखरेख भी एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है. जू क्यूरेटर इसी काम को करते हैं. बडे-बडे चिडियाघरों में जू मैनेजर व जू क्यूरेटर्स की नियुक्ति की जाती है. इससे संबंधित कोर्स करके इस क्षेत्र में प्रवेश पाया जा सकता है.
इको टूरिज्म- यूँ तो इको टूरिज्म पर्यटन से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसमें इकोलॉजी यानि पारिस्थितिकी का भी समावेश होता है. इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग टूरिज्म के साथ इकोलॉजी की भी अच्छी खासी नॉलेज रखते है. देश के विविधतापूर्ण भौगोलिक व प्राकृतिक दशाओं के कारण आज इको टूरिज्म में जॉब के अनेक अवसर विद्यमान हैं.
फॉरेस्टर- वन्य जगत में फॉरेस्टर के काम की अपनी ही अहमियत है. फॉरेस्टर सामान्य रूप से वनों के संरक्षण, परिवर्धन के आदि के लिए कार्य करता है. वन्य जीवों के वासस्थान की सुरक्षा, जंगलों में लगने वाली आग से बचाव आदि उसके प्रमुख कार्य हैं. वर्तमान में लगातार समाप्त हो रहे वन्य जीव जंतुओं के कारण यहां भविष्य में अधिकतर जॉब्स की संभावनाएं हैं.
डेंड्रोलॉजिस्ट- इनका मुख्य कार्य वृक्षों का जीवन चक्र, ग्रेडिंग, क्लासीफिकेशन, मेजरिंग, रिसर्च आदि करना होता है. इसके अलावा वृक्षों की सुरक्षा, वैज्ञानिक विधियों की मदद से उनके जीवनकाल में वृद्धि जैसे कार्य भी इन्हें करना होता है.
इथनोलॉजिस्ट- इथनोलॉजिस्ट मुख्य रूप से वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करता है. जू, एक्वेरियम, लैब्स आदि में जीवों के लिए रहने योग्य स्थान बनाने में इथनोलॉजिस्ट की बहुत जरूरत पड़ती है.
सिल्वीकल्चरिस्ट- सिल्वीकल्चरिस्ट का मुख्य कार्य एक नस्ल विशेष के पौधों की खेती करने और उनकी वृद्धि हेतु यथा संभव प्रयास करना होता है. पौधों की दुर्लभ प्रजाति के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है.
वस्तुतः फॉरेस्ट्री में कॅरियर की असीम संभावनाएं हैं. आजकल ज्यादतर युवा इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए किसी भी तरह का चैलेंज स्वीकार करने को तैयार हैं. जन सेवा के साथ एडवेंचर के बेहतर स्कोप के कारण यह क्षेत्र बहुत आसानी से आज के साहसी युवाओं को आकर्षित करता है.