मेडिसिन में करियर – भारत में टॉप मेडिकल स्पेशलाइजेशंस

मेडिकल फील्ड को भारत में सबसे सम्मानजनक करियर विकल्पों में से एक के रूप में जाना जाता है. डॉक्टरों को हर संस्कृति, धर्म और आर्थिक सेटअप में पहचाना जाता है और उनका सम्मान किया जाता है.

Career in Medicine – Top Medical Specializations in India
Career in Medicine – Top Medical Specializations in India

मेडिकल फील्ड को भारत में सबसे सम्मानजनक करियर विकल्पों में से एक के रूप में जाना जाता है. डॉक्टरों को हर संस्कृति, धर्म और आर्थिक सेटअप में पहचाना जाता है और उनका सम्मान किया जाता है. इस प्रोफेशन में न केवल वित्तीय स्थिरता के कारण प्रशंसा प्राप्त होती है बल्कि कई डॉक्टरों ने सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए न्यूनतम जीवन मुआवजे पर दिया अपना पूरा जीवन समर्पित कर  है,इसलिए उन्हें हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है.

विभिन्न एम्स कॉलेजों, विशेष रूप से एम्स दिल्ली का एंट्रेंस एग्जाम देकर छात्र एमबीबीएस कर सकते हैं.क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ और कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल जैसे कई अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्रों को एनईईटी (नीट) के एग्जाम में बैठना होगा.

एनईईटी (नीट) मेडिकल उम्मीदवारों और डॉक्टरों के बीच एक बेहद लोकप्रिय प्रवेश परीक्षा है क्योंकि यह पूरे देश में बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेजों के प्रवेश का द्वार खोलता है. मई 2018 में एनईईटी 2018 में 13 लाख से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे. हालांकि, एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए भारत में केवल 60,000 सीटें ही उपलब्ध हैं.

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जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और अत्यधिक प्रशिक्षित डॉक्टरों की आवश्यकता धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. यही कारण है कि, कई एमबीबीएस उम्मीदवारों का उद्देश्य स्पेशलाइजेशन और यहां तक ​​कि अपनी पसंद के क्षेत्रों में एक सुपर स्पेशलाइजेशन करना होता है.

मान्यता प्राप्त एमबीबीएस डिग्री के बाद किये जाने वाले कुछ विकल्पों का विवरण नीचे दिया गया है-

स्पेशलाइजेशन डिग्री :

पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, एमडी या एमएस जैसे स्पेशलाइजेशन की डिग्री में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को एनईईटी पीजी, एम्स, जेआईपीएमईआर, पीजीआई चंडीगढ़ या स्टेट सीईटी को मिनिमम क्वालिफाइंग मार्क्स के साथ पास करना होगा. डीएनबी की डिग्री के लिए सीईटी स्कोर की जरुरत पड़ती है. आइये कुछ कोर्सेज पर एक नजर डालते हैं -

1. पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा : अगर आप एमबीबीएस करने के बाद अपना स्पेशलाइजेशन सिर्फ दो वर्ष में पूरा करना चाहते हैं तो आप मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कर सकते हैं.आप रेडियोलॉजी, ओबेसट्रिक्स और गाईनोकोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, मधुमेह आदि कई फील्ड में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.इनमें से कुछ प्रमुख हैं -

  • एनेस्थेसिया में पीजीडी : इसके अंतर्गत उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के एनेस्थेसिया जैसे जेनरल या लोकल एनेस्थेसिया उनकी मात्रा तथा उसे किस तरह पेशेंट पर अप्लाई करना है आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.
  • ऑब्सटेट्रिक्स और गाईनोकोलॉजी  में पीजीडी: इस कोर्स में गर्भवती अथवा महिला प्रजनन अंगों का अध्ययन किया जाता है.
  • चाइल्ड हेल्थ में पीजीडी : यह कोर्स उम्मीदवारों को  प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिशुओं, बच्चों और किशोरों की नर्सिंग और देखभाल किस प्रकार करनी चाहिए,इस विषय कि पूर्ण जानकारी प्रदान करता है.

2. एमडी - डॉक्टर ऑफ मेडिसिन : एमडी एक पोस्टग्रेजुएट डिग्री है जो उन क्षेत्रों से संबंधित है जहाँ सर्जिकल स्किल्स की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि,  इसके कुछ अपवाद भी हैं. यह एक 3 साल का प्रोग्राम है. एमडी में कई ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है.

  • एमडी – जेनरल मेडिसिन : इस कोर्स के अंतर्गत सामान्य चिकित्सा बीमारियों,असाध्य बीमारियों की रोकथाम,उनके उपचार तथा असाध्य बीमारियों के इलाज से जुड़े एडवांस टेक्नोलॉजी के विकास आदि पर जोर दिया जाता है. इस फील्ड में मेडिकल एमरजेंसी को डील करने के साथ साथ रिसर्च भी किया जाता है.
  • एमडी – पेडियाट्रिक्स : यह कोर्स बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली चिकित्सा पद्धतियों पर केंद्रित है. इस फील्ड में छात्र बच्चों से सम्बंधित नीयोनेटल, न्यूरोलॉजी तथा न्यूट्रीशन की जानकारी हासिल करते हैं. इसके अतिरिक्त इस कोर्स में विभिन्न तरह के टीकाकरण (वैक्सीनेशन) के विषय में भी जानकारी हासिल की जाती है.
  • एमडी – रेडियो डायग्नोस्टिक : यह कोर्स डायग्नोस्टिक, चिकित्सीय और मेडिसिन में रिसर्च के लिए विकिरण, अल्ट्रासाउंड और चुंबकीय अनुनाद के उपयोग पर केंद्रित है. इसके अंतर्गत रेडियोलॉजी के विभिन्न प्रकार जैसे कार्डियोवैस्कुलर रेडियोलॉजी, न्यूरोरायडोलॉजी और मैमोग्राफी के बारे में अध्ययन किया जाता है.
  • एमडी – पैथोलॉजी : यह कोर्स अंगों, टिश्यूज, तरल पदार्थ  और पूरे शरीर की जांच करके बीमारियों का अध्ययन और उसके निदान से सम्बन्धित है. पैथोलॉजिस्ट आम तौर पर बीमारियों का निदान, उपचार और रोकथाम के लिए अस्पतालों और क्लीनिकों में अन्य डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और हेल्थ प्रोफेशनल्स के साथ काम करते हैं.
  • एमडी – माइक्रोबायोलॉजी : यह कोर्स ऐसे जीवों (जिसे नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है) और संक्रामक एजेंटों के अध्ययन से संबंधित है. इसके अंतर्गत जीवों के साथ सूक्ष्मजीवों का इंटरैक्शन और ये किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं ? आदि का अध्ययन किया जाता है.

3. एमएस - मास्टर ऑफ सर्जरी : एमएस एक पोस्टग्रेजुएट डिग्री है तथा इस फील्ड में सर्जरी स्किल्स की आवश्यकता होती है.एमएस डिग्री के साथ एकमात्र नॉन क्लिनिकल ब्रांच एनाटॉमी है. एमएस के लिए क्लिनिकल ब्रांच हैं- जेनरल सर्जरी, ईएनटी, ओप्थाल्मोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, ऑब्स्टेट्रिक्स और गाईनोकोलॉजी.यह तीन साल का कोर्स है. इसके अंतर्गत ऐसे कई ब्रांच हैं जिनमें आप एमएस कर सकते हैं.

  • एमएस – जेनरल सर्जरी : यह कोर्स पेट, आंतों, पित्ताशय की थैली, यकृत आदि जैसे पेट के अंगों की सर्जरी के जरिये किये गए उपचार से सम्बंधित है. इसमें एपेंडिसाइटिस और हर्निया का भी इलाज किया जाता है.
  • एमएस – ओप्थाल्मोलॉजी : यह प्रोग्राम शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान और आंखों की बीमारियों से संबंधित है. इसमें उम्मीदवार मेडिकल और सर्जिकल आंख की समस्याओं के स्पेशलिस्ट बनते हैं
  • एमएस – आर्थोपेडिक्स : यह कोर्स मोसक्यूलोसकेलेटल प्रणाली में आये विकारों से संबंधित है. इसमें पुराने दर्द तथा चोटों आदि के उपचार का अध्ययन किया जाता है. इसके अतिरिक्त इसमें गठिया तथा अन्य जन्मजात विकृतियों के उपचार की जानकारी प्रदान की जाती है.
  • एमएस-ऑब्सटेट्रिक्स और गाईनोकोलॉजी : ये दो अलग अलग सर्जिकल मेडिकल स्पेशलिटी हैं. ऑब्सटेट्रिक्स और गाईनोकोलॉजी  में पीजी की तरह इस कोर्स में गर्भवती अथवा महिला प्रजनन अंगों का अध्ययन किया जाता है. लेकिन इसमें अध्ययन बहुत विस्तृत और व्यापक स्तर पर किया जाता है.
  • एमएस-ईएनटी : यह कोर्स कान, नाक और गले के बारे में बीमारियों और विकारों के उपचार और निदान से संबंधित है. इसमें उम्मीदवार ईएनटी में रेडियोलॉजी का उपयोग करके, लारीनक्स तथा स्कलबेस जैसे विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.

4. डीएनबी – डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (स्पेशलाइजेशन): यह डिग्री केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड द्वारा प्रदान की जाती है. डीएनबी उम्मीदवारों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स में पूरी तरह ट्रेंड किया जाता है,जबकि एमडी / एमएस उम्मीदवारों को मेडिकल कॉलेजों में ट्रेनिंग दी जाती है.इस कोर्स में एडमिशन उम्मीदवार के डीएनबी-सीईटी स्कोर पर आधारित होता है.डीएनबी रेजीडेंसी के अंतर्गत एनास्थेसियोलॉजी, जेनरल मेडिसिन, गाईनोकोलॉजी,रेडियोडिग्नोसिस और रेडियोथेरेपी, फिजियोलॉजी तथा कई अन्य विभाग आते हैं.

सुपर स्पेशलाइजेशन डिग्री :

डीएम या एमएच की डिग्री के लिए उम्मीदवार को एनईईटी एसएस, एम्स पीजी, जेआईपीएमईआर, या पीजीआईएमईआर स्कोर की आवश्यकता होती है. डीएनबी एसएस डिग्री के लिए डीएनबी सीईटी एसएस स्कोर की आवश्यकता होती है.

1. डीएम - डॉक्टर ऑफ मेडिसिन : यह एक सुपर स्पेशियलिटी डिग्री है जिसे एमडी पूरा करने के बाद किया जाता है. यह तीन साल का प्रोग्राम है. इसके अंतर्गत ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें उम्मीदवार अपना करियर बना सकते हैं.

  • डीएम – कार्डियोलॉजी : यह कोर्स दिल से जुड़ी बीमारियों से समबन्धित है.जन्मजात हृदय रोग, कोरोनरी धमनी रोग, हार्ट फेल और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी का इलाज कैसे किया जाता है, इन सभी बातों की जानकारी इसके अंतर्गत दी जाती है.
  • डीएम – न्यूरोलॉजी : यह कोर्स तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) में उत्पन्न विकारों से संबंधित है. मुख्य रूप से यह सेन्ट्रल,पेरिफेरल और ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम से सम्बंधित है.
  • डीएम – नेफ्रोलोजी : अगर सरल शब्दों में कहा जाय तो  नेफ्रोलॉजिस्ट किडनी के डॉक्टर होते हैं. वे किडनी  से संबंधित बीमारियों और विकारों का निदान और उपचार करते हैं. यह एक तीन साल का कोर्स है जो किडनी के फेल होने और डायलिसिस जैसे विषयों से संबंधित है.

2. एम.एच. - मास्टर ऑफ सर्जिकल : यह एक सुपर स्पेशलिटी डिग्री है जिसे उम्मीदवार एमएस पूरा करने के बाद कर सकते हैं. यह एक तीन साल का कोर्स है. इस फील्ड में भी कई ऐसे विभाग हैं जिनमें आगे कि पढ़ाई की जा सकती है. उनमें से कुछ हैं -

  • एम.एच – न्यूरोसर्जरी : यह कोर्स नर्वस सिस्टम के किसी भी हिस्से को प्रभावित करने वाले विकारों के उपचार, निदान और रोकथाम से संबंधित है. ये विकार मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क और परिधीय नसों को प्रभावित करते हैं.
  • एम.एच - प्लास्टिक सर्जरी : यह कोर्स मनुष्य के शरीर को सुन्दर बनाने अथवा चोट,जलन आदि से विकृत अंगों के सुधार से संबंधित है. इस कोर्स के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की सर्जरी जैसे माइक्रो सर्जरी,हैण्ड सर्जरी,रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी तथा जले हुए शरीर के हिस्से का इलाज आदि किया जाता है.
  • एम.एच  - यूरोलॉजी : यह कोर्स पुरुषों और महिलाओं दोनों के युरीनरी ट्रैक्ट्स से जुड़े विकारों से समबन्धित है.यह पुरुष प्रजनन प्रणाली में हुए बीमारियों का उपचार करता है. इस पाठ्यक्रम में पेडियाट्रिक यूरोलॉजी के साथ साथ यूटीआई और यौन संक्रमित बीमारियों का अध्ययन किया जाता है.

3. डीएनबी – डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड  (सुपर स्पेशलाइजेशन): डीएनबी सुपर स्पेशलाइजेशन डिग्री के लिए उम्मीदवार को डीएनबी सीईटी एसएस परीक्षा देना होगा. उम्मीदवार मेडिकल या सर्जिकल सुपर स्पेशलाइजेशन में से किसी एक का चयन कर सकते हैं.कार्डियाक एनेस्थेसिया, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी  और नियोनैटोलॉजी जैसे पाठ्यक्रम मेडिकल सुपर स्पेशलाइजेशन के अंतर्गत आते हैं. न्यूरोसर्जरी, पेडियाट्रिक सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी जैसे पाठ्यक्रम सर्जिकल सुपर स्पेशलाइजेशन के अंतर्गत आते हैं. उम्मीदवार अपने एमबीबीएस के 6 साल के पाठ्यक्रम के बाद सीधे इन सुपर स्पेशलाइजेशन में एडमिशन ले सकते हैं.

विशेषज्ञ के बारे में:

 

मनीष कुमार ने वर्ष 2006 में आईआईटी, बॉम्बे से मेटलर्जिकल एंड मेटीरियल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद इन्होंने जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, यूएसए से मेटीरियल्स साइंस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की और फिर इंडियन स्कूल फाइनेंस कंपनी ज्वाइन कर ली, यहाँ वे बिजनेस स्ट्रेटेजीज एंड ग्रोथ की देख रेख करने वाली कोर टीम के सदस्य रहें. वर्ष 2013 में, इन्होंने एसईईडी स्कूल्स की सह-स्थापना की. ये  स्कूल्स भारत में कम लागत वाली के-12 एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार लाने पर अपना फोकस रखते हैं ताकि क्वालिटी एजुकेशन सभी को मुहैया करवाई जा सके. वर्तमान में ये टॉपर.कॉम के प्रोडक्ट – लर्निंग एंड पेडागॉजी  विभाग में वाईस प्रेसिडेंट हैं.

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